बिहार ने प्रदूषण के मामले में दिल्ली को छोड़ा पीछे, राज्य के नौ शहर तय मानकों से ज्यादा है प्रदूषित
By एस पी सिन्हा | Published: November 21, 2022 06:11 PM2022-11-21T18:11:24+5:302022-11-21T18:17:58+5:30
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार के कई शहरों की हालत दिल्ली से भी ज्यादा खराब है। बेतिया में 469, मोतिहारी में 410 एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया है।
पटना:बिहार के छोटे से छोटे शहरों में वायु प्रदूषण का आज हाल यह हो गया है कि इसके सामने दिल्ली कहीं भी नहीं टिक रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देशभर में वायु प्रदूषण का बड़ा हिस्सा बिहार के शहरों से ही है। एनसीडीसी ने सीपीसीबी से सोमवार को सुबह 10 बजे के करीब हासिल किए गए आंकड़ों को जारी किया है।
इसमें बिहार के बेगूसराय में 379, बक्सर में 378, छपरा में 316, दरभंगा में 354, कटिहार में 327, पटना में 322, पूर्णिया में 317, सहरसा में 327 और समस्तीपुर में 357 एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया है। ये सभी शहर प्रदूषण के मामले में रेड जोन में चल रहे हैं।
सीपीसीबी की इस सूची में देश भर के कुल 167 शहरों का आंकड़ा शामिल किया गया है। इनमें कुल 13 शहर रेड जोन में हैं। इन 13 शहरों में से नौ शहर केवल बिहार के हैं। इनके अलावा रेड जोन वाले शहरों में देश की राजधानी दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का एक-एक शहर शामिल है। रेड जोन वाले शहरों में दिल्ली 316, जबलपुर 308, पुणे में 302, सिंगरौली 301 एक्यूआइ के साथ शामिल हैं।
बिहार के दो शहर तो रेड जोन से भी आगे निकल चुके हैं। बेतिया में 469, मोतिहारी में 410 एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया है। 400 से अधिक एक्यूआइ वाले पूरे देश में केवल ये दोनों शहर ही हैं। इन शहरों की वायु गुणवत्ता सांस के मरीजों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बिहार के तमाम जिला मुख्यालयों में स्थिति इससे अधिक गंभीर है।
सीपीसीबी के मुताबिक 201 से 300 एक्यूआइ को खराब, 301 से 400 तक बेहद खराब और 400 से अधिक को खतरनाक माना जाता है। बिहार के ज्यादातर शहरों का एक्यूआइ बेहद खराब या फिर खतरनाक श्रेणी में है। ऐसा वायु मंडल में बड़े धूलकणों की वजह से हो रहा है। निर्माण क्षेत्र में मानकों की अनदेखी, बालू और मिट्टी के उत्खनन और ढुलाई में मानकों की अनदेखी इसकी प्रमुख वजह है।