पटनाः बिहार की नीतीश कुमार सरकार में मंत्री के तौर 16 अगस्त को शपथ लेने वाले कार्तिक कुमार ने बुधवार की शाम अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया। इस्तीफे को लेकर पूछे गए सवाल पर कार्तिकेय सिंह ने कहा कि 'भाजपा के लोगों को हम पच नहीं रहे थे क्योंकि हम भूमिहार समाज से RJD के कोटा से नेता थे इसलिए आरोप लगा रहे हैं।' उधर भाजपा ने कहा है कि अभी तो एक विकेट गिरा है अभी और विकेट गिरेंग।
इस्तीफे पर पूर्व बिहार मंत्री कार्तिकेय सिंह ने कहा कि '2015 में एक मामले में मेरा नाम आया था जिसमें जांच के बाद निर्दोष साबित किया था। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय फिर से इस मामले में संज्ञान लिया गया।' पूर्व मत्री ने कहा, 'इसी बीच भाजपा के लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया जिससे मेरा और पार्टी का नाम खराब हो रहा था। इसलिए पार्टी हित में हमने इस्तीफा सौंप दिया।'
उधर, भाजपा नेता व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कार्तिकेय के इस्तीफे पर कहा कि अभी तो और विकेट गिरेंगे। उन्होने कहा, कार्तिक कुमार को कल देर रात इस्तीफा देना पड़ा। ये वही कार्तिक हैं जिन पर हत्या की नीयत से अपहरण के मामले में गिरफ्तारी का वारंट था आत्मसमर्पण करने के बजाय उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। सुशील मोदी ने कहा, यह तो पहला विकेट था ऐसे कई विकेट गिरेंगे।
मालूम हो कि कार्तिकेय को अपहरण के एक मामले में कथित संलिप्तता के बावजूद विधि मंत्री बनाए जाने पर विपक्ष ने आपत्ति जताई थी और उनके इस्तीफे की मांग की थी। इसके बाद मंगलवार को उनका विभाग बदल दिया गया था और उनसे विधि विभाग लेकर गन्ना विभाग सौंपा गया था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्तिक का इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी है। गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है। इससे पूर्व बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की ओर से मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल सचिवालय के एक आदेश के आलोक में कार्तिक कुमार को विधि विभाग के स्थान पर गन्ना उद्योग विभाग एवं शमीम अहमद को गन्ना उद्योग विभाग के स्थान पर विधि विभाग का कार्य अगले आदेश तक आवंटित किया गया है।
बिहार विधान परिषद में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्य कार्तिक सिंह ने 16 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नवगठित महागठबंधन सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2014 के अपहरण एक मामले में कार्तिक कुमार के नामज़द होने के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए उन्हें मंत्री पद से हटाए जाने की मांग की थी ।