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बिहार: नीतीश कुमार ने हर तरकीब लगाकर पार्टी का नियंत्रण रखा अपने पास, बदलते रहे पसंदीदा अध्यक्ष

By एस पी सिन्हा | Updated: December 29, 2023 17:14 IST

जदयू में मचे सियासी घमासान के बीच शुक्रवार को ललन सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो फिर से नीतीश कुमार ही पार्टी के अध्यक्ष बन गए।

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ठळक मुद्देपार्टी पर कब्जा जमाने का आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने अपने चहेते नेताओं को पार्टी की कमान सौंपीहालांकि आरोप ये भी है कि बिहार सीएम ने पर्दे के पीछे से नियंत्रण अपने हाथों में ही रखाअब शुक्रवार को ललन सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो नीतीश कुमार फिर अध्यक्ष बन गए

पटना: जनता दल से अलग होकर पहले समता पार्टी के गठन के बाद से ही नीतीश कुमार पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने में सफल रहे थे। पार्टी पर कब्जा जमाने का आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने अपने चहेते नेताओं को पार्टी की कमान सौंपनी शुरू की, लेकिन पर्दे के पीछे से नियंत्रण अपने हाथों में ही रखा। अब समय चक्र ऐसा घूमा है कि एक बार फिर से नीतीश कुमार के हाथों ही पार्टी की कमान आ गई है। जदयू में मचे सियासी घमासान के बीच शुक्रवार को ललन सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो फिर से नीतीश कुमार ही पार्टी के अध्यक्ष बन गए।

जदयू के इतिहास को देखें तो 30 अक्टूबर 2003 को जदयू का गठन हुआ था। तब समता पार्टी और लोक शक्ति जनता दल (शरद यादव द्वारा संचालित) के विलय के बाद एक नए दल के रूप में जदयू अस्तित्व में आई। शरद यादव, जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार जदयू के संस्थापक सदस्य रहे। पार्टी के तीनों बड़े चेहरों के आसपास ही लंबे अर्से तक जदयू की सियासत होते रही। 

इस बीच नीतीश कुमार ने धीरे-धीरे जॉर्ज फर्नांडिस को जदयू से दूर करने में सफल हो गए। इसके बाद शरद यादव वर्ष 2004 से 2016 तक अध्यक्ष के रूप में काम करते रहे। लेकिन फिर से शरद यादव और नीतीश कुमार के रिश्ते मधुर नहीं रह गए। दोनों में दूरियां बढ़ी तो जदयू के अध्यक्ष कर रूप में नीतीश कुमार खुद कमान संभाल ली। वह वर्ष 2016 से 2020 तक जदयू के अध्यक्ष रहे। 

वहीं शरद यादव न सिर्फ जदयू से बाहर कर दिए गए बल्कि उनकी राज्यसभा की सदस्यता भी खत्म हो गई। अंत में जिस जदयू के वे संस्थापक सदस्य थे, उन्हें बेइज्जत होकर वहां से निकलना पड़ा। अंत में वे लालू यादव की पार्टी राजद के साथ हो लिए और उनका निधन भी राजद नेता में रूप में हुआ। इस बीच जदयू मतलब नीतीश कुमार का ठप्पा लगने लगा। उसके बाद नीतीश कुमार ने वर्ष 2020 जदयू का अध्यक्ष बदलने का मन बनाया। 

उस समय नीतीश कुमार ने अपने सबसे करीबी रामचन्द्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को जदयू अध्यक्ष बनाया। लेकिन आरसीपी के अध्यक्ष बनते ही उनकी कार्यशैली से नीतीश कुमार असहज होने लगे। स्थिति हुई आरसीपी वर्ष 2020 से 2021 तक ही अध्यक्ष रह पाए। नीतीश और आरसीपी में दूरी बढ़ी तो फिर से नीतीश ने अपने खास ललन सिंह को जुलाई 2021 में जदयू का अध्यक्ष बनाया। 

इसके बाद नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान ललन सिंह के हाथों में सौंप दी, जो उनके काफी करीबी माने जाते हैं। वहीं आरसीपी ने जदयू से अलग होकर भाजपा का दामन थाम लिया। 

टॅग्स :नीतीश कुमारजेडीयूबिहारLalan Singh
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