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बिहार में जदयू-भाजपा का गठबंधन खत्मः सीएम नीतीश से नाराज हरिवंश, उपसभापति पद से नहीं देगे इस्तीफा!

By एस पी सिन्हा | Updated: August 14, 2022 14:52 IST

जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि हरिवंश जी हमारे सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पूरा सम्मान और सम्मान रखते हैं। लेकिन यह भी समझना चाहिए कि राज्यसभा का सभापति एक संवैधानिक पद है और निर्वाचित व्यक्ति छह साल तक इस पद पर रहता है।

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ठळक मुद्देसांसदों और विधायकों की बैठक में नहीं बुलाना बताया जा रहा है।पटना में नीतीश कुमार ने 9 अगस्त को जदयू की बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्हें (हरिवंश) आमंत्रित नहीं किया गया था।हरिवंश ने इस संदर्भ में अभी तक इस पर अपना कोई बयान नहीं दिया है।

पटनाः बिहार में जदयू-भाजपा का गठबंधन टूटने के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को असहज स्थिति में डाल दिया है। सूत्रों की मानें तो हरिवंश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज बताए जा रहे हैं। इसके पीछे की वजह नीतीश कुमार का हरिवंश को सांसदों और विधायकों की बैठक में नहीं बुलाना बताया जा रहा है।

हरिवंश के एक करीबी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वह एक संवैधानिक पद पर हैं और जो लोग इस तरह के पद पर बैठे हैं। ऐसे व्यक्ति अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए? उन्होंने कहा कि पटना में नीतीश कुमार ने 9 अगस्त को जदयू की बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्हें (हरिवंश) आमंत्रित नहीं किया गया था।

इसलिए वह उसमें नहीं गए थे, लेकिन नीतीश कुमार के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है। बता दें कि हरिवंश जदयू के राज्यसभा सदस्य हैं। पार्टी के भाजपा से अलग होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह इस पद पर बने रहेंगे या फिर इस्तीफा देंगे? हालंकि हरिवंश ने इस संदर्भ में अभी तक इस पर अपना कोई बयान नहीं दिया है।

वहीं, सूत्रों की मानें तो हरिवंश एक हफ्ते बाद नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे और उनसे अपना विरोध दर्ज कराएंगे। अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस्तीफा देने के लिए कहते हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। सूत्रों ने कहा कि हरिवंश नीतीश कुमार की इच्छा भाजपा नेताओं को बताएंगे। अगर भाजपा या एनडीए के नेता हरिवंश को इस्तीफा देने के लिए कहते हैं तो वे उपसभापति पद से अपना इस्तीफा देंगे।

इसबीच जदयू के एक नेता ने नाम नही छापने के शर्त पर कहा कि हरिवंश के नाम का प्रस्ताव भाजपा ने किया था और उन्हें कई दलों के समर्थन से चुना गया था। उन्होंने बताया मौजूदा राजनीतिक स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति को उनके पद से तभी हटाया जा सकता है, जब भाजपा उनके खिलाफ अविश्वास व्यक्त करे।

वहीं, इस संबंध में ललन सिंह ने कहा कि हरिवंश जी हमारे सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पूरा सम्मान और सम्मान रखते हैं। लेकिन यह भी समझना चाहिए कि राज्यसभा का सभापति एक संवैधानिक पद है और निर्वाचित व्यक्ति छह साल तक इस पद पर रहता है।

इसलिए इसका कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह (हरिवंश) एकमात्र सांसद थे जो पार्टी की बैठक में नहीं आए थे। हमने उनसे फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि नीतीश जी उन्हें सार्वजनिक जीवन में लाए है, ऐसे में वह नीतीश जी के साथ हैं और उनके साथ रहेंगे।

टॅग्स :नीतीश कुमारहरिवंशराज्य सभासंसदजेडीयूBJP
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