बिहार: अंतिम तीन चरणों में एनडीए-महागठबंधन के नए चेहरों का होगा फैसला

By एस पी सिन्हा | Published: May 2, 2019 07:35 AM2019-05-02T07:35:06+5:302019-05-02T07:35:06+5:30

पांचवें चरण का चुनाव छह मई व छठे चरण का चुनाव 12 मई को होना है. इस चरण में बिहार की पांच सीटों पर मतदान होना है।

Bihar: In the last three stages, new faces of NDA will be decided | बिहार: अंतिम तीन चरणों में एनडीए-महागठबंधन के नए चेहरों का होगा फैसला

बिहार: अंतिम तीन चरणों में एनडीए-महागठबंधन के नए चेहरों का होगा फैसला

बिहार में अंतिम तीन चरणों में अर्थात पांचवे, छठे और सातवें चरण में होने वाले चुनाव में एनडीए व महागठबंधन के नये चेहरों के भाग्य का फैसला होगा. वोटर किसे जीत का सेहरा बांधेंगे यह 23 मई को ही पता चलेगा. पांचवें व छठे चरण में मधुबनी, मुजफ्फरपुर, वाल्मीकि नगर, मोतिहारी, बेतिया, शिवहर व गोपालगंज में नये चेहरे पर एनडीए व महागठबंधन ने दांव लगाया है. अब देखना है कि नये चेहरे वोटरों को अपनी ओर कितना आकर्षित कर पाते हैं. 

पांचवें चरण का चुनाव छह मई व छठे चरण का चुनाव 12 मई को होना है. इस चरण में बिहार की पांच सीटों पर मतदान होना है। इनमें सीतामढी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर में वोटिंग होनी है, लेकिन बिहार की राजनीति और यहां के चुनाव में रुचि लेने वाले जागरूक लोगों की नजर मुख्य रूप से इस चरण की दो ही सीटों पर रहेगी. यह हाजीपुर और सारण संसदीय क्षेत्र की सीटें हैं. इन दोनों सीटें राज्य की राजनीति के चार दशक से अधिक समय से केन्द्र बिन्दू रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान की राजनीतिक हैसियत की स्थिती को तय करेंगी. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बतौर उम्मीदवार इनकी अनुपस्थिति में वोटरों का मिजाज क्या रहता है? दोनों ने अपनी-अपनी सीट से अपने सगे-संबंधी को मैदान में उतारा है. हालांकि इसके पहले लालू प्रसाद यादव इस मसले में वोटरों का तापमान नाप चुके हैं. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी को सारण सीट से उतारा था. लेकिन वह चुनाव हार गईं थीं. इस बार लालू प्रसाद यादव ने अपने समधी चन्द्रिका राय को इस सीट से राजद का उम्मीदवार बनाया है. यहां बता दें कि लालू प्रसाद यादव ने छपरा संसदीय सीट का तीन बार प्रतिनिधित्व किया है. सबसे पहले 1977 में वह इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे. उसके बाद 1989 और 2004 के ससंदीय चुनाव में भी लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से जीत हासिल की. हालांकि एक बार उन्हें यहां के वोटरों ने दगा दिया है. हालांकि 1980 और 1984 में लालू यहां से खुद चुनाव मैदान थे, लेकिन हार गये थे. अब लालू के समधी के सामने वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी भाजपा के निशान पर चुनौती दे रहे हैं. 

उधर, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने जब से हाजीपुर सीट से चुनाव लडना शुरू किया है, तब से यह पहला मौका है कि वह बतौर उम्मीदवार हाजीपुर के मैदान में नहीं हैं. इसके पहले वह इसी सीट से दो बार जीत के अंतर का रिकार्ड बना चुके हैं. इस बार उन्होंने हाजीपुर सीट से अपने छोटे भाई और अपनी पार्टी लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा है. इस सीट का चुनाव यह तय करेगा कि हाजीपुर में रामविलास पासवान का सिक्का अब भी बरकरार है या उनके हटने पर परिस्थितियां कुछ बदली हैं. उनके मुकाबले में राजद के युवा नेता शिवचन्द्र राम ताल ठोक रहे हैं. हाजीपुर ससंदीय क्षेत्र से राम विलास पासवान आठ बार चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे. हालांकि एक बार उन्हें भी हाजीपुर से हार का सामना करना पडा. 2009 के चुनाव में वह रामसुंदर दास से चुनाव हार गये थे. लेकिन 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 के चुनाव में वह हाजीपुर लोकसभा चुनाव जीते. उनकी भी अनुपस्थिति से अंदाजा लगेगा कि जनता सिर्फ उन्हें चाहती है या उनके प्रतिनिधि के माथे पर भी जीत का सेहरा बांधती है.

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