Bihar Education Department: वार्षिक परीक्षा से पहले 100 दिन का क्रैश कोर्स?, छात्रों को किया जाएगा तैयार
By एस पी सिन्हा | Updated: December 21, 2024 17:05 IST2024-12-21T17:00:39+5:302024-12-21T17:05:30+5:30
Bihar Education Department: टेस्ट में यह देखा जाएगा कि बीते एक सप्ताह में बच्चों ने कितना सीखा और उनमें कितनी सुधार की और गुंजाइश है।

सांकेतिक फोटो
पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग में सुधार लाने को लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव(एसीएस) डॉ. एस.सिद्धार्थ लगातार कोशिश कर रहे हैं। एस सिद्धार्थ एक के बाद एक ऐलान कर रहे हैं। इन दिनों एस.सिद्धार्थ प्रतिदिन वीडियो कॉल कर स्कूलों का जायजा ले रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के परीक्षा परिणामों में सुधार लाने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस योजना के तहत, सभी स्कूलों में वार्षिक परीक्षा से पहले 100 दिन का क्रैश कोर्स चलाया जाएगा। इस दौरान बच्चों को उन सभी विषयों की गहनता से पढ़ाई कराई जाएगी जो परीक्षा में आने वाले हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन छात्रों की मदद करना है जो पढ़ाई में कमजोर हैं या जिनकी उपस्थिति कम रही है। इन छात्रों को अतिरिक्त समय और ध्यान दिया जाएगा ताकि वे भी अन्य छात्रों के बराबर हो सकें।
इसके तहत बच्चों को परीक्षा के लिए जरूरी सभी अध्यायों से पढ़ाई कराई जाएगी, ताकि परीक्षा में उन्हें ज्यादा से ज्यादा अंक मिल सके। इसको लेकर डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है। साथ ही स्कूलों में इसकी व्यवस्था करने में जुट जाने को कहा है।
स्कूलों में रोजमर्रा की कक्षाओं के अलावा, विशेष रूप से गणित और भाषा के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाएंगी। हर सप्ताह छात्रों का टेस्ट लिया जाएगा ताकि उनकी प्रगति का आकलन किया जा सके। छात्रों को रोजाना होमवर्क दिया जाएगा ताकि वे घर पर भी पढ़ाई कर सकें। शिक्षकों को इस योजना के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे छात्रों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकें।
शिक्षा विभाग का मानना है कि इस योजना से छात्रों के परीक्षा परिणाम में सुधार आएगा। हालांकि, कुछ शिक्षकों का मानना है कि इतने कम समय में इतना बड़ा बदलाव लाना मुश्किल होगा। छात्रों का कहना है कि उन्हें अतिरिक्त कक्षाओं के कारण बोझ महसूस हो रहा है। एसीएस की ओर से जारी निर्देशानुसार 100 दिन के क्रैश कोर्स के तहत पहली घंटी में प्रारंभिक स्कूलों में गणित व आधारभूत गणित की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके बाद दूसरी घंटी में बच्चों की रीडिंग क्लास चलेगी। इस रीडिंग क्लास में बच्चों को धाराप्रवाह हिन्दी विषय का उच्चारण समेत पाठ कराया जाएगा, ताकि उनके पढ़ने की गति बढ़ाई जा सके।
योजना के अनुसार स्कूलों में नामांकित सभी बच्चों को इस क्रैश कोर्स में शामिल होना होगा। जबकि इसे स्कूल के प्रधानाध्यापकों को सुनिश्चित कराने की जिम्मेवारी दी गई है। वहीं एसीएस ने यह भी कहा है कि हर सोमवार को छात्रों का टेस्ट लिया जाएगा। बच्चों के लिए टेस्ट पेपर उनके वर्ग शिक्षक तैयार करेंगे।
इस टेस्ट में यह देखा जाएगा कि बीते एक सप्ताह में बच्चों ने कितना सीखा और उनमें कितनी सुधार की और गुंजाइश है। इसके अनुसार एक बार फिर से प्रधानाध्यापक स्तर से इसकी समीक्षा कराई जाएगी। साथ ही अगर इस शेड्यूल में किसी बदलाव की जरूरत होगी तो प्रधानाध्यापक अपने स्तर से इसमें सुधार कराएंगे। इसके अलावा सोमवार को टेस्ट लेने के बाद सभी छात्रों को होमवर्क भी दिया जाएगा। इस होमवर्क को हर हाल में पूरा कराना और इसकी जांच शिक्षकों के द्वारा की जाएगी।
बिहार के हर जिले में बनाया जाएगा एक मॉडल स्कूल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस.सिद्धार्थ ने किया ऐलान
बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस.सिद्धार्थ लगातार बिहार के स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए आए दिन कई ऐलान भी कर रहे हैं। एस सिद्धार्थ इन दिनों स्कूलों का वीडियो कॉल के माध्यम से निरीक्षण भी कर रहे हैं। साथ ही हर शनिवार को एस.सिद्धार्थ शिक्षा की बात करते हैं। शिक्षा की बात में एस सिद्धार्थ छात्रों और शिक्षकों के सवालों का जवाब देते हैं।
शिक्षा की बात एपिसोड 8 में एस.सिद्धार्थ ने एक सवाल के जवाब में बताया कि जल्द ही बिहार में मॉडल स्कूल बनाए जाएंगे। इन स्कूलों में प्रतियोगिता के आधार पर छात्रों का एडमिशन कराया जाएगा। उन्होंने ऐलान किया कि बिहार के हर जिले में एक मॉडल स्कूल बनेगा। इसके बाद अनुमंडल और प्रखंड में उत्कृष्ट स्कूल बनाए जाएंगे। शिक्षा विभाग इस पर काम कर रहा है।
दरअसल, शिक्षा की बात एपिसोड-8 में गया के शिक्षक कुमार हर्ष द्वारा पूछे गए सवाल कि बिहार में एक या दो ऐसा मॉडल विद्यालय बनाया जाए जहां बच्चों का नामांकन प्रतियोगिता के आधार पर हो और शिक्षक भी प्रतियोगिता के आधार पर आएं ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। इस सवाल के जवाब में एस. सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार सरकार सभी को समान शिक्षा देने के क्षेत्र में काम करती है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग इस मामले में विचार कर रही है कि हर जिले में ऐसे मॉडल स्कूल बनाएं जाएं जिन स्कूलों को देखकर बाकी स्कूल में प्रेरित होकर अपने स्कूलों में बेहतर सुविधा दें। एस सिद्धार्थ ने कहा कि हम लोग कुछ स्कूल हर प्रखंड में मॉडल स्कूल बनाएंगे जिसे देकर बाकी स्कूल मार्गदर्शन लेंगे।
पहले हम लोग जिला में मॉडल स्कूल बनाएंगे फिर अनुमंडल और प्रखंड में... ये स्कूल बच्चों में भेदभाव के लिए नहीं होंगे बल्कि इसलिए होंगे ताकि सभी स्कूल उससे मार्गदर्शन लेकर अपने स्कूल को बेहतर बनाएं। एस सिद्धार्थ ने कहा कि, हम लोग इसपर काम कर रहे हैं। पहले जिला में ऐसे स्कूल बनाए जाएंगे फिर अनुमंडल और प्रखंड में ऐसे विद्यालय बनाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि विभाग इस पर काम कर रहा है। जल्द ही स्कूलों का निर्माण होगा। वहीं इसी क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक दबाव के कारण ही शिक्षा में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि अभिभावकों, ग्रामीणों और स्थानीय लोगों को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए तभी शिक्षा में सुधार हो सकेगा। एस सिद्धार्थ ने कहा कि आज मैं देख रहा था।
सुबह-सुबह एक चाय दुकान पर चाय पी रहा था। चाय दुकान पर हमने एक बच्चे को देखा, तब हमने पूछा कि आप विद्यालय नहीं जाते हैं ? उसने जवाब दिया कि पहले निजी विद्यालय में जाते थे, लेकिन खर्चा लगता था। तब हमने पढ़ाई छोड़ दी।
पिताजी झारखंड में मजदूरी करते हैं, मुझे चाय के दुकान पर भेज दिया है। ऐसे में समाज का दायित्व है कि गांव का बच्चा पढ़ रहा या नहीं, यह देखे। गांव एक यूनिट होता है। सबको एक दूसरे के बच्चों के बारे में जानकारी होती है। ऐसे में समाज का दायित्व है कि हर बच्चा स्कूल में जाए।