बिहार: शराबबंदी के बावजूद प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा लोग कर रहे हैं शराब सेवन, सरकारी सर्वे में हुआ खुलासा

By एस पी सिन्हा | Updated: March 21, 2021 14:04 IST2021-03-21T13:58:41+5:302021-03-21T14:04:12+5:30

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की तरफ से तैयार इस सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में लगभग 11 लाख लोग भांग का इस्तेमाल कर रहे हैं.

Bihar: Despite liquor ban, more than 10 lakh people are consuming liquor in the state, revealed in government survey | बिहार: शराबबंदी के बावजूद प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा लोग कर रहे हैं शराब सेवन, सरकारी सर्वे में हुआ खुलासा

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlightsसर्वे में बिहार में अफीम सेवन करने वाले लोगों की संख्या करीब एक लाख है.बिहार सरकार के मंत्री ने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेला जा रहा है.

पटना: बिहार में शराबबंदी के बावजूद यहां शराब का सेवन करने वालों की तादाद कम नहीं हो रही है. एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि बिहार में 10 लाख से ज्यादा पुरूष शराब का सेवन कर रहे हैं.

यही नही 55 हजार से अधिक महिलाएं शराब के सेवन में शामिल हैं. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से भारत में मादक पदार्थ के उपयोग का विस्तार और प्रतिमान पर आधारित राष्ट्रीय सर्वे में यह खुलासा हुआ है.

वहीं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की तरफ से तैयार इस सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में लगभग 11 लाख लोग भांग का इस्तेमाल कर रहे हैं.

वहीं 1.3 लाख व्यक्ति इनहेलेंट्स के एडिक्टेड हैं. इस सर्वे में बिहार को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक अफीम एडिक्ट लोगों की संख्या तकरीबन एक लाख है.

जबकि दूसरे तरह का नशा करने वाले लोगों की तादाद लगभग एक लाख तीस हजार है. इस संबंध में प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग और परिवर्धन के खतरे हर तरफ बढ़ रहे हैं.

हमारा राज्य कोई अपवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि समस्या की जांच के लिए मंत्रालय ने ड्रग डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है और हाल ही में हमने राज्य में नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया है. 

मंत्री ने कहा कि लोगों में किसी भी तरह की नशीली दवा का उपयोग करने से रोकने और उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए हमने दरभंगा की सायकिल गर्ल ज्योति कुमारी को राज्य में इस अभियान का राजदूत के रूप में भी नियुक्त किया है.

उन्होंने कहा कि इस एक्शन प्लान से न केवल नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी बल्कि इन नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों की पहचान और उनकी परामर्श पर भी ध्यान केंद्रित करेगी. इसके अलावा, सेवा प्रदाताओं को भी परामर्श दिया जाना चाहिए और आजीविका के वैकल्पिक श्रोत प्रदान किए जाने चाहिए. मंत्री ने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेला जा रहा है.

इसके अलावा मादक पदार्थों की लत किसी विशेष आर्थिक वर्ग के लिए नहीं रही है. यहां तक ​​कि अच्छे और गरीब परिवारों तक को भी इसमें धकेला जा रहा है. नशे की लत की वजह से मानव तस्करी और चोरी जैसे अपराधों में वृद्धि का भी एक कारण है. उन्होंने कहा कि मैंने एक ऐसे ड्रग एडिक्ट को जाना है जो उस समय हताश हुआ करता था, जब उसे नशीली दवा नहीं मिलती थी तो वह मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली स्पिरिट का सेवन नशे के तौर पर करता था.

उन्होंने कहा कि नशा मुक्त समाज बनाने के लिए ठोस कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है. बिहार 2016 से ही इस दिशा में काम कर रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही इसे ड्राइ स्टेट के तौर पर घोषित कर चुके हैं. अब सिर्फ नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने की जरूरत है.

यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद अब तक बिहार में शराब पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है. शराबबंदी के बावजूद शराब का बड़ा-बड़ा स्टॉक पकड़ा जा रहा है और अब इस सरकारी सर्वे ने राज्य में शराबबंदी की असलियत खोलकर रख दी है.

Web Title: Bihar: Despite liquor ban, more than 10 lakh people are consuming liquor in the state, revealed in government survey

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