बिहार में विधानसभा उपाध्यक्ष चुनावः महेश्वर हजारी और भूदेव चौधरी में टक्कर, जानें सबकुछ
By एस पी सिन्हा | Updated: March 23, 2021 16:40 IST2021-03-23T16:37:56+5:302021-03-23T16:40:09+5:30
जदयू की ओर से महेश्वर हजारी के द्वारा नामांकन दाखिल किये जाने के मौके पर खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद रहे।

भाजपा ने उपाध्यक्ष की कुर्सी सहयोगी जदयू के छोड़ दी थी। (file photo)
पटनाः बिहार विधानसभा में उपाध्यक्ष पद के लिए जदयू के महेश्वर हजारी और राजद के भूदेव चौधरी ने नामांकन दाखिल किया है।
विधानसभा के 17वें उपाध्यक्ष पद के लिए आज विधानसभा के सचिव राजकुमार सिंह के कक्ष में नामांकन पत्र दाखिल किया गया। जदयू की ओर से महेश्वर हजारी के द्वारा नामांकन दाखिल किये जाने के मौके पर खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद रहे। महेश्वर हजारी के नामांकन के बाद विपक्ष की तरफ से राजद विधायक भूदेव चौधरी ने भी नामांकन किया।
यहां बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष पद पर भाजपा के विजय कुमार सिन्हा काबिज हैं। ऐसे में भाजपा ने उपाध्यक्ष की कुर्सी सहयोगी जदयू के छोड़ दी थी। विपक्ष की तरफ से उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किये जाने के बाद सदन में मतदान की नौबत आ गई है। विपक्ष की तरफ से विधायक भूदेव चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है।
हालांकि सदन में एनडीए को बहुमत है, लिहाजा जदयू विधायक महेश्वर हजारी की जीत में परेशानी नहीं होगी. कल यानी 24 मार्च को उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। सोमवार की शाम विधानसभा सचिव राजकुमार सिंह ने उपाध्यक्ष निर्वाचन की अधिसूचना जारी की गई थी। पिछली बार जब जदयू कोटे के विधानसभा अध्यक्ष थे तो भाजपा कोटे से अमरेन्द्र प्रताप सिंह उपाध्यक्ष थे।
वे 7 अगस्त 2012 से 14 नवम्बर 2015 तक इस पद पर थे. विधानसभा के पहले उपाध्यक्ष अब्दुल बारी हुए। शकूर अहमद दो बार इस पद पर आसीन हुए। छह साल बाद बिहार में इस पद पर किसी का चुनाव होने जा रहा है। इस पद के लिए नामांकन दाखिल करने की समयसीमा मंगलवार को दोपहर 12 बजे तक ही निर्धारित थी।
महेश्वर हजारी समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर क्षेत्र से चौथी बार विधायक बने हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पुरानी सरकार में वे मंत्री भी थे. लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं। राजनीतिक लिहाज से अनुसूचित जाति के किसी सदस्य को यह पद दिया जाना है। महेश्वर हजारी साल 2005 से लगातार निर्वाचित होते रहे हैं। फरवरी व नवंबर 2005 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वे 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़े।
साल 2014 तक सांसद रहने के बाद वे 2015 में फिर से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते। 2020 में भी विधायक चुने गए। 58 वर्षीय हजारी नीतीश सरकार में नगर विकास, भवन निर्माण, योजना एवं विकास और उद्योग मंत्री रह चुके हैं। दलित नेता के तौर उनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है।
वैसे, बिहार विधानसभा की एक परंपरा विपक्षी खेमे से उपाध्यक्ष बनाने की रही है. परंतु 2012 से 2015 के बीच सत्तारूढ़ भाजपा के अमरेंद्र प्रताप सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई थी, तब जदयू से उदय नारायण चौधरी अध्यक्ष थे। इस बार भी साफ है कि उपाध्यक्ष का पद सत्तारूढ़ दल के पास ही रहेगा।