पटनाः बिहार के छपरा में जहरीली शराब का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है और मौत का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक जहरीली शराब से 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। गैर सरकारी आंकड़ों में 80 से ज्यादा लोगों की मौत की बात सामने आ गई है।
जबकि मरने वालों का सरकारी आंकड़ा अभी केवल 34 ही है। इसके अलावा सीवान में अभीतक 5 लोगों की मौत और बेगूसराय में 2 लोगों की मौत भी जहरीली शराब से ही हो गई है। उसके अलावा अभी 30 लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जिसमें 12 की स्थिति बहुत गंभीर है। जहरीली शराब के कारण मारे गये सारे लोग गरीब, पिछड़े और दलित समाज के हैं।
इस तरह देखें तो बिहार में हाल के दिनों में जहरीली शराब पीकर मरने वालों की कुल संख्या 87 हो गई है। आशंका जताई जा रही है कि मरने वालों की संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है। छपरा शराब कांड को लेकर सियासत भी तेज है। विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है। इस घटना ने बिहार समेत पूरे देश को इस पर सोचने को मजबूर कर दिया है।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा ने भी बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। बता दें कि अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में शराब बेचने और पीने पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में यह बात छनकर सामने आई है कि शराब के धंधेबाज शाम पांच बजे के बाद ही सक्रिय हो जाते हैं।
इस इलाके में कोड वर्ड '10 रुपया में निमकी 50 रुपया में चिमकी' के साथ तीन से चार मिनट में ही शराब की ग्लास दे दी जाती है। वहीं कई बार 20 से 30 रुपये का ग्लास भी दिया जाता है। कहा जा रहा है कि करीब 10 साल पहले गली मुहल्लों, दियारा इलाकों में दो रुपया निमकी, पांच रुपया चिमकी के कोड वर्ड के साथ देशी शराब बेची जाती थी।
आज उसी कोड वर्ड को शराबबंदी के बाद धंधेबाज इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं रोजाना शराब पीने वाले भली-भांति इस कोडवर्ड से परिचित होते हैं। वहीं, जरूरत के हिसाब से शराब के धंधेबाज बिक्री का अड्डा भी बदलते रहते हैं।
इसबीच सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा है की अभी तक प्रशासन ने 213 लोगों को हिरासत में लिया है, पर अभी तक प्रशासन ने इन गिरफ्तारियों और हो रही जहरीली शराब से इन मौतों का प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं किया है। इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई भी हो रहा है।
अब बिहार के सभी थानों के मालखाने में रखे जब्त स्पिरिट नष्ट किये जाएंगे। इसको लेकर मद्य निषेध, उत्पादन एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी डीएम को पत्र लिखा है। सारण जिले के मशरक थाने में जब्त करके रखे गये स्पिरिट के गायब होने और इसी स्पिरिट से शराब बनने का आरोप ग्रामीणों ने लगाया और पुलिस प्रशासन को ही इन मौतों का जिम्मेदार बताया।