छपरा के बाद अब सीवान में जहरीली शराब पीने से 5 लोग मरे, आक्रोशित भीड़ ने शव के साथ छपरा-मलमलिया मार्ग जाम किया
By अनिल शर्मा | Published: December 16, 2022 02:07 PM2022-12-16T14:07:04+5:302022-12-16T14:30:02+5:30
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि आक्रोशित भीड़ शव के साथ छपरा-मलमलिया मार्ग को जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रही है। वहीं प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है।
सिवानः बिहार के छपरा में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का मामला अभी थमा नहीं कि अब सिवान से जहरीली शराब से मरनेवालों की सूचना है। रिपोर्ट के मुताबिक सीवान के भगवानपुर थाना अंतर्गत विभिन्न गांवों में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मृत्यु हुई है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि आक्रोशित भीड़ शव के साथ छपरा-मलमलिया मार्ग को जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रही है। वहीं प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है।
बिहार: छपरा के बाद, सीवान के भगवानपुर थाना अंतर्गत विभिन्न गांवों में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मृत्यु हुई है। आक्रोशित भीड़ शव के साथ छपरा-मलमलिया मार्ग को जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रही है। प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है। pic.twitter.com/gm0dPxq2nS
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 16, 2022
बिहार के छपरा जहरीली शराब कांड में मरने वालों की संख्या 50 हो गई है वहीं सारण जिले में 11 और लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई है। मरहौरा उप-विभागीय पुलिस अधिकारी योगेंद्र कुमार की सिफारिश पर मसरख स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) रितेश मिश्रा और कांस्टेबल विकेश तिवारी को मंगलवार की रात त्रासदी के तुरंत बाद निलंबित कर दिया गया था।
अधिकांश मौतें बुधवार और गुरुवार को हुई हैं, जिससे राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर हंगामे की स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि बिहार में अप्रैल 2016 से नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा कि शराब से हुई मौतों पर वे मुआवजा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि ये सवाल ही नहीं पैदा होता कि शराब पीकर मरेगा तो उसे सहायता राशि देंगे। जो पिएगा वो मरेगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक याचिका दायर की गई जिसमें बिहार जहरीली शराब त्रासदी की स्वतंत्र एसआईटी जांच की मांग की गई। इस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए शुक्रवार मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया। हालांकि, पीठ ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किए जाने के कारण सुनवाई से इनकार कर दिया।