पटनाः बिहार भाजपा ने महागठबंधन को चुनौती देते ही बड़ा बदलाव किया है। बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा भाजपा विधान मंडल दल के नेता के रूप में चुने गए और पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को विधान परिषद में भाजपा विधान परिषद दल का नेता चुना गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले विजय कुमार सिन्हा को विधायक दल का नेता चुना। विधानसभा सचिवालय को भेजे गए एक पत्र में भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अनुरोध किया कि सिन्हा को प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा दिया जाए।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र का लगातार तीसरी बार प्रतिनिधित्व करने वाले सिन्हा 2017 से 2020 तक मंत्री भी रहे हैं। पहले विपक्ष के नेता राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव थे जो अब उपमुख्यमंत्री हैं। जायसवाल ने कहा कि पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को विधान परिषद में भाजपा का नेता चुना गया है।
बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद भाजपा विधायक वीके सिन्हा ने कहा कि हमने सदन में अपनी पूरी बात रखी है। सब विधायकों ने अध्यक्ष का सम्मान दिया। हमने पहले ही कहा था कि हम बाहर इस्तीफा नहीं देंगे। हमने जो कहा वह बिहार, देश की जनता ने देखा। अब निर्णय वह करेंगे कि उसमें कितना सत्य है।
विजय कुमार सिन्हा ने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपका अविश्वास प्रस्ताव अस्पष्ट है। 9 माननीय सदस्यों का जो पत्र मिला उसमें से 8 नियम के मुताबिक नहीं थे।
बिहार में नवगठित ‘महागठबंधन’ सरकार ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों के बहिर्गमन के बीच आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। भाजपा को हाल ही में हुए सियासी उलटफेर में राज्य में सत्ता से बाहर होना पड़ा था। विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर गिनती का आदेश दिया।
चौधरी ने कहा कि ध्वनिमत ने स्पष्ट रूप से बहुमत का समर्थन दर्शाया है, लेकिन गिनती से किसी भी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहेगी। कुल मिलाकर 160 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान ने भी विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया।