पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार जदयू-भाजपा अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने की रणनीति बनाने को लेकर गंभीर है. राजग नेताओं ने दावा किया है कि चुनाव परिणाम उनके पक्ष में होगा और दोनों दलों को मिला कर 200 से अधिक सीटें आयेंगी.
इनमें हम और वीआइपी की सीटें भी होंगी. इसके चलते दोनों ही पार्टियां अपने-अपने कोटे की सीटों को लेकर ज्यादा गंभीर हैं. ऐसे में राजनीति के जानकारों का मानना है कि प्रदेश में राजग की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे, लेकिन सरकार पर जदयू और भाजपा के विधायकों की संख्या का भी असर पड़ेगा.
अधिक संख्या वाले दल का सरकार पर दबदबा रहेगा. इसी आधार पर दोनों दलों के बीच मंत्रियों की संख्या भी तय हो सकती है. ऐसे में जदयू जहां 122 में से अधिक-से-अधिक सीटें जीतना चाहता है, वहीं भाजपा भी अपने कोटे की 121 में से अधिकतम सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति बनाने में जुटी है.
दूसरी ओर पिछले तीन चुनावों में राजद और कांग्रेस के जीत का असर 30 फीसदी के आसपास रहा है. जबकि लोजपा का पांच फीसदी से नीचे रहा है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो 2005 और 2015 में जदयू का जीत का दर भाजपा से अधिक रहा था.
वहीं, 2010 में भाजपा का जीत का दर जदयू से अधिक रहा. 2005 में जदयू ने 139 सीटों पर चुनाव लडा और उनमें से 88 सीटों पर जीत हासिल की. ऐसे में पार्टी का जीत का दर 63.30 फीसदी रहा था. वहीं, 2005 में भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लडी थी, जिनमें से 55 सीटों पर जीत हासिल हुई. ऐसे में पार्टी का जीत का दर 53.92 फीसदी रहा था.
उसीतरह 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 141 सीटों पर चुनाव लडकर 115 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार पार्टी का जीत का दर 81.56 फीसदी था. भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लडकर 91 पर जीत हासिल किया. इस बार भाजपा का जीत का दर 89.21 फीसदी रहा था.
2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 101 सीटों पर चुनाव लडकर 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस साल पार्टी का जीत का दर 70.29 फीसदी रहा. वहीं, भाजपा ने 157 सीटों पर चुनाव लडकर 53 पर जीत हासिल की थी. इस बार पार्टी का जीत का दर 33.75 फीसदी रहा था.
2015 के विधानसभा चुनाव में राजद ने 101 सीटों में से 80 पर जीत हासिल की थी. उस बार राजद का जीत का दर सर्वाधिक 79.20 फीसदी रहा था. यहां बता दें कि 2015 में जदयू और भाजपा अलग-अलग गठबंधन में थे.