Bihar assembly elections 2020: पहले चरण में 71 सीट पर मतदान, भाजपा में आधा दर्जन बागी, शीर्ष नेतृत्व बेचैन

By एस पी सिन्हा | Updated: October 10, 2020 19:02 IST2020-10-10T19:02:36+5:302020-10-10T19:02:36+5:30

प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी नेतृत्व ने फोन कर ऐसे नेताओं को साफ कहा है कि वे नाम वापस लें वरना उन्हें छह साल के लिए दल की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया जाएगा. हालांकि दल के इस संदेश का बागियों पर कितना असर होगा, यह देखने लायक होगा.

Bihar assembly elections 2020 nda bjp jdu jp nadda mp modi amit shah sushil modi nitish kumar | Bihar assembly elections 2020: पहले चरण में 71 सीट पर मतदान, भाजपा में आधा दर्जन बागी, शीर्ष नेतृत्व बेचैन

दरअसल, साल 2015 के चुनावी मैदान में भाजपा 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. (file photo)

Highlightsभाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी में बागियों का सिलसिला यही थमने वाला नहीं है.तीन चरण में हो रहे बिहार चुनाव का नामांकन खत्म होने तक कम से कम दो दर्जन जाने-पहचाने चेहरा भाजपा का दामन थाम सकते हैं. एनडीए में वह पिछली बार सबसे बड़ी पार्टी थी. लेकिन इस बार एनडीए में जदयू के आने पर वह बड़ी पार्टी बन चुकी है.

पटनाः बिहार में पहले चरण के 71 सीटों पर हो रहे चुनाव में अब तक आधा दर्जन से अधिक भाजपा के चर्चित चेहरों ने पार्टी का दामन त्याग कर दूसरे दलों से चुनावी मैदान में कूद गए हैं.

दल और देश की दुहाई देने वाले इन नेताओं ने इस सिद्धांत को ही तिलांजलि दे दी. इसतरह से बागियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भाजपा नेतृत्व अब सख्त हो गया है. जिन-जिन नेताओं ने अब तक नामांकन कर दिया है, उन्हें नाम वापसी की तिथि तक का समय दिया गया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी नेतृत्व ने फोन कर ऐसे नेताओं को साफ कहा है कि वे नाम वापस लें वरना उन्हें छह साल के लिए दल की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया जाएगा. हालांकि दल के इस संदेश का बागियों पर कितना असर होगा, यह देखने लायक होगा. भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी में बागियों का सिलसिला यही थमने वाला नहीं है.

नेताओं की मानें तो तीन चरण में हो रहे बिहार चुनाव का नामांकन खत्म होने तक कम से कम दो दर्जन जाने-पहचाने चेहरा भाजपा का दामन थाम सकते हैं. दरअसल, साल 2015 के चुनावी मैदान में भाजपा 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसका मूल कारण था कि एनडीए में वह पिछली बार सबसे बड़ी पार्टी थी. लेकिन इस बार एनडीए में जदयू के आने पर वह बड़ी पार्टी बन चुकी है.

पिछली बार की तुलना में इस बार पार्टी 47 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी

जदयू 115 तो भाजपा 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में पिछली बार की तुलना में इस बार पार्टी 47 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी. ऐसे में जिन-जिन नेताओं ने पिछली बार पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में भाग्य आजमाया था, वे इस बार भी दूसरे दलों का दामन थामकर अपनी किस्मत आजमाना चाह रहे हैं.

चूंकि लोजपा ने ऐलान कर दिया है कि वह भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा और बाकी 143 सीटों पर वह चुनाव लडेगा. इस कारण भाजपा के वैसे नेता जो पिछली बार चुनावी मैदान में थे, वे इस बार भी लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश में लगे हैं.

भाजपा से नाता तोड़ने वाले नेताओं में अब तक सात को लोजपा ने टिकट दे दिया

यहां बता दें कि जदयू के खिलाफ लोजपा भी वैसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रहा है, जो भाजपा छोड़कर आ रहे हैं. यही कारण है कि भाजपा से नाता तोड़ने वाले नेताओं में अब तक सात को लोजपा ने टिकट दे दिया है. भाजपा से नाता तोड़ने वालों में सबसे चर्चित चेहरा राजेन्द्र सिंह व रामेश्वर चौरसिया हैं. रामेश्वर चौरसिया पार्टी के फायरब्रांड नेता माने जाते थे. प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का पक्ष मजबूती से रखा करते थे. लेकिन नोखा सीट जैसे ही जदयू के खाते में गई कि वे पार्टी छोड़कर लोजपा के टिकट पर सासाराम से चुनावी मैदान में उतर गए.

वहीं साल 2015 में पार्टी के सीएम फेस के रूप में अचानक से चर्चा में आए राजेन्द्र सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष थे. दिनारा सीट जदयू कोटे में चली गई तो वे भी बिना देरी किए भाजपा से नाता तोड लिए और लोजपा के उम्मीदवार बन चुके हैं. इसी तरह पालीगंज सीट जदयू के कोटे में जाने के बाद वहां की विधायक रहीं उषा विद्यार्थी ने भी लोजपा का दामन थाम लिया.

भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश प्रवक्ता रहीं श्वेता सिंह भी लोजपा के टिकट पर संदेश से चुनावी मैदान में उतर गई हैं. जबकि भाजपा कार्यसमिति की सदस्य इंदू कश्यप जहानाबाद तो एक समय भाजपा से नाता रखने वाले राकेश कुमार सिंह ने भी पार्टी का दामन त्यागकर घोसी से लोजपा के उम्मीदवार बन चुके हैं. उसीतरह साल 2015 के चुनाव में अमरपुर से मृणाल शेखर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड च़ुके हैं.

इस बार यह सीट जदयू के कोटे में चली गई तो मृणाल शेखर ने पार्टी को त्यागकर लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर गए हैं. दल की नीतियों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में उतरने वालों में कुछ ऐसे भी नेता हैं, जो दूसरे दलों के ऑफर को साफ नकार दे रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार सूर्यगढ़ा से चार बार चुनावी मैदान में उतर कर तीन बार जीत हासिल करने वाले प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल को भी लोजपा की ओर से टिकट का ऑफर मिला था. लेकिन उन्होंने प्रदेश नेतृत्व के प्रति आस्था जताते हुए भाजपा में ही रहना स्वीकार किया. दल के आलानेताओं ने पटेल को भविष्य में ख्याल रखने का आश्वासन दिया है. इसतरह से भाजपा में जारी भगदड़ ने पार्टी को परेशानी में डाल दिया है.

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