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बिहार: सुपौल में शिक्षा विभाग में धांधली, कथित शिक्षिका को 7 साल से प्रेग्नेंट बता का लेते रहे वेतन

By एस पी सिन्हा | Updated: May 15, 2019 14:10 IST

सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड में एक 50 साल की महिला टीचर को कुछ अधिकारियों ने पहले कागजों पर नियुक्त किया और फिर उसे एक ऐसे स्कूल में पदस्थ दिखाया गया, जो अस्तित्व में ही नहीं है. 

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ठळक मुद्देएक 50 साल की महिला टीचर को कुछ अधिकारियों ने पहले कागजों पर नियुक्त किया और फिर उसे एक ऐसे स्कूल में पदस्थ दिखाया गयाडीईओ ने जब मध्य विद्यालय हटबरिया की जांच की तो अटेंडेंस रजिस्टर में कहीं भी कुमारी सुभद्रा ठाकुर का नाम नहीं था.

बिहार में सुपौल में एक 50 साल की एक कथित शिक्षिका 7 वर्षों से प्रेग्नेंट बताई गई है और मातृत्व अवकाश दिखाकर बाकायदा वेतन लेते रही है. जांच में यह सामने आया है कि इस शिक्षा विभाग की गड़बड़ी में अधिकारी से लेकर डॉक्टर तक शामिल है. ये सभी लोग करीब 7 सालों में 15 लाख वेतन के रूप में पैसा शिक्षा विभाग से निकलवा चुके हैं. इस तरह से सुपौल के शिक्षा विभाग एक बड़े घोटाले की बात सामने आ रही है. जिसमें सभी ने मिलकर गोरखधंधा किया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड में एक 50 साल की महिला टीचर को कुछ अधिकारियों ने पहले कागजों पर नियुक्त किया और फिर उसे एक ऐसे स्कूल में पदस्थ दिखाया गया, जो अस्तित्व में ही नहीं है. 

ऐसे में इस मामले में अब डीईओ ने संबंधित बीईओ को इस पूरे मामले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए शोकॉज नोटिस भेजा है. बताया जाता है कि बीईओ(प्रखंड शिक्षा अधिकारी) सूर्यदेव प्रसाद ने मध्य विद्यालय हटबरिया में पदस्थ टीचर कुमारी सुभद्रा ठाकुर को 5 जुलाई 2017 से 16 नवम्बर 2017 तक मातृत्व अवकाश दिया. फिर 17 नवम्बर 2017 से 2 अक्टूबर 2018 तक उन्हें फिर कार्यरत दिखाया और फिर 3 अक्टूबर 2018 से 31 दिसम्बर 2018 तक चिकित्सकीय अवकाश में दिखाने और फिर जनवरी 2019 के कार्यरत अवधि का वेतन भुगतान करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा था. जब इस गड़बड़ी की जानकारी डीईओ(जिला शिक्षा अधिकारी) अजय कुमार सिंह को लगी तो उन्होंने मामले की जांच शुरू की. 

डीईओ ने जब मध्य विद्यालय हटबरिया की जांच की तो अटेंडेंस रजिस्टर में कहीं भी कुमारी सुभद्रा ठाकुर का नाम नहीं था. पूछताछ में पता लगा कि कुमारी सुभद्रा ठाकुर 26 सितम्बर 2012 से स्कूल से बिना सूचना अनुपस्थित हैं. हैरानी की बात तो यह कि कागजातों की जांच में यह सामने आया कि 1 फरवरी 2016 को सुभद्रा ठाकुर को दूबियाही प्राथमिक विद्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया है, लेकिन सच तो यह है कि इस नाम का कोई स्कूल पिपरा प्रखंड में है ही नहीं.

वहीं, दूबियाही के एक अन्य प्राथमिक स्कूल की शिक्षक ने बताया कि वह 2005 से स्कूल में हैं और इस स्कूल में सुभद्रा ठाकुर नाम की कोई टीचर कार्यरत ही नहीं है. डीईओ अजय कुमार सिंह के अनुसार, जांच में ग्रामीणों ने बताया कि सुभद्रा ठाकुर नाम की महिला उसी गांव में है. उनको दो बेटे और एक बेटी है. एक बेटे की उम्र लगभग 30 साल है और वह इंजीनियर के पद पर कहीं कार्यरत है. लेकिन वह महिला किसी स्कूल में शिक्षिका नहीं है. डीईओ ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. जांच पूरी होने के बाद इसमें जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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