बिहार: एईएस का कहर जारी, अब तक 25 बच्चों की मौत, अस्पताल में कम पड़ रहे बेड और ऑक्सीजन

By एस पी सिन्हा | Published: June 9, 2019 07:33 PM2019-06-09T19:33:58+5:302019-06-09T19:33:58+5:30

दरअसल, लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. हर साल कई बच्चे इंसेफलाइटिस की भेंट चढ़ जाते हैं.

Bihar: AES continues to be the havoc, so far 25 children's death, hospital beds and oxygen | बिहार: एईएस का कहर जारी, अब तक 25 बच्चों की मौत, अस्पताल में कम पड़ रहे बेड और ऑक्सीजन

बिहार: एईएस का कहर जारी, अब तक 25 बच्चों की मौत, अस्पताल में कम पड़ रहे बेड और ऑक्सीजन

बिहार में एक बार फिर लीची से होने वाली बीमारी एक्यूट इंसेफिलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. हालात ये हैं कि (एईएस) की बीमारी बच्‍चों पर काल बनकर टूट रही है. मुजफ्फरपुर में एईएस के कारण पिछले दो दिनों में 14 बच्चों के मौत हो गई है. इस साल अभी तक केवल मुजफ्फरपुर में मौत का आधिकारिक आंकड़ा 25 तक पहुंच चुका है. हालांकि हर साल की तरह प्रशासन मौत के आंकडों को दबाने में जुटा हुआ है.

हालत यह है कि बीमार बच्‍चों की बढी संख्‍या के आगे मुजफ्फरपुर के सबसे बडे अस्‍पताल श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉजेल व अस्‍पताल (एसकेएमसीएच) में बिस्तर से लेकर ऑक्सीजन के प्वाइंट कम पडने लगे हैं. इसके कारण ऑक्सीजन सिलेंडर कक्ष में उपलब्ध कराए गए हैं. हालांकि इस पर कर्मियों का ध्यान नहीं रहने से जब तब सिलेंडर खाली होने से परेशानी बढ़ जाती है.

पिछले पांच दिनों में इंसेफलाइटिस बुखार की वजह से मुजफ्फरपुर में 25 बच्चों की मौत हो चुकी है. जबकि अभी भी कई बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है. अकेले मुजफ्फरपुर में इंसेफलाइटिस को लेकर चीख पुकार मची गई है. आज अस्पताल में 13 बच्चे भर्ती किये गए, जबकि तीन बच्चों की मौत हो गई. इस बीच सिविल सर्जन डॉ एपी सिंह ने एसकेएमसीएच का दौरा किया. पहले उन्होंने पीआईसीयू में भर्ती बच्चों का हाल चाल लिया और इलाज के प्रोटोकॉल की समीक्षा की.

सिविल सर्जन ने इसके बाद एसकेएमसीएच के सुपरिंटेंडेंट और अन्य डॉक्टरों के साथ बैठक की. मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन एसपी सिंह ने बताया कि बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी की पुष्टि हो रही है. उन्होंने भी माना कई बच्चों को तेज बुखार में लाया जा रहा है. उन्होंने इसे चमकी और तेज बुखार बताया.

नेपाल के तराई में आने वाले उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढी व वैशाली में बीमारी का प्रभाव दिखता है. इस बार एसकेएमसीएच में जो मरीज आ रहे, वे मुजफ्फरपुर और आसपास के हैं. इंसेफलाइटिस बुखार से पीडित बच्चों को एईएस मान कर सिम्टम्स के आधार पर इलाज होता रहा है. यहां बता दें कि पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार अधपकी लीची को भी इसका कारण माना गया है.

दरअसल, लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. हर साल कई बच्चे इंसेफलाइटिस की भेंट चढ जाते हैं. भारतीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और सीडीसी ने 2013 और 2014 में इस पर शोध किया. रिपोर्ट के अनुसार, "2013 के परीक्षणों में एक विशेष लक्षण पाया गया जो किसी टॉक्सिन की वजह से हो सकता है." 2014 के परीक्षण के दौरान भी बुखार के पीछे किसी संक्रमण का प्रमाण नहीं मिला. इससे भी किसी टॉक्सिन के संपर्क में आने की संभावना को बल मिला. यही नहीं, बुखार फैलने का दौर प्रायः मुजफ्फरपुर में लीची के उत्पादन के मौसम में आता है.

Web Title: Bihar: AES continues to be the havoc, so far 25 children's death, hospital beds and oxygen

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