बिहार: गया में 50 विदेशी महिला-पुरुषों ने सनातन धर्म के अनुसार किया पिंडदान

By एस पी सिन्हा | Updated: February 13, 2020 06:02 IST2020-02-13T05:41:02+5:302020-02-13T06:02:43+5:30

इस पिंडदान को परम्परा को अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली संस्था इंस्कॉन का स्थानीय प्रबंधक जगदीश श्यामदास ने बताया कि उनकी विश्वव्यापी संस्था के माध्यम से ये सभी सनातन धर्म को अंगीकार कर चुकें हैं और अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान और कर्तव्य निभाने वाली पिंडदान की परम्परा के बारे में जानकारी मिली तो इन लोगों ने इस कर्म रूपी यज्ञ को संपन्न करने की इच्छा जताई.

Bihar: 50 foreign women and men in Gaya performed pinddaan according to Sanatan Dharma | बिहार: गया में 50 विदेशी महिला-पुरुषों ने सनातन धर्म के अनुसार किया पिंडदान

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: Pixabay)

बिहार के गया जिला मुख्यालय स्थित विष्णुपद के संगम घाट पर रूस एवं पूर्व सोवियत संघ से जुड़े देशों के 50 महिला पुरूषों की टीम के द्वारा धार्मिक नगरी गया में आकर सनातन धर्म की परम्परा का निर्वाह करते हुए पिंडदान करते देख सभी की आंखे चौंधिया गईं. यहां एक साथ बैठकर विदेशी तीर्थयात्रियों ने पिंडदान किया. इस दौरान हर किसी की निगाहें बस एक ही ओर टिकी थीं, जहां विदेशी श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की मुक्ति की कामना को लेकर पिंडदान कार्यक्रम में जुटे रहे. 

ऐसे में जानकारों का कहना है कि विदेश के लोग सनातन धर्म को अंगीकार करने के साथ ही इसकी परम्पराओं का निर्वहन करने में मे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेतें हैं. यही कारण है कि गया के विष्णुपद के संगम घाट पर पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं में रूस समेत कई देशों के महिला-पुरुष तीर्थयात्री शामिल हैं. सभी श्रद्धालुओं ने एक साथ बैठकर अपने पितरों को याद किया और भारतीय परंपरा के अनुसार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया.

इन लोगों ने फल्गु नदी के देवघाट पर भारतीय परिधान में अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ पिंडदान और तर्पण किया और विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना की. इस टीम में 8 पति-पत्नी के साथ कुल 39 परिवार के 50 लोग शामिल हैं, जिसमें से महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा 29 है. 

इस पिंडदान को परम्परा को अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली संस्था इंस्कॉन का स्थानीय प्रबंधक जगदीश श्यामदास ने बताया कि उनकी विश्वव्यापी संस्था के माध्यम से ये सभी सनातन धर्म को अंगीकार कर चुकें हैं और अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान और कर्तव्य निभाने वाली पिंडदान की परम्परा के बारे में जानकारी मिली तो इन लोगों ने इस कर्म रूपी यज्ञ को संपन्न करने की इच्छा जताई. जिसके बाद आज पूरी श्रद्धा के साथ पिंडदान और तर्पण का कार्य संपन्न कराया जा रहा है.

पिंडदान कराने वाले पंडा नरेन्द्रलाल कटरियार ने कहा कि गया में साल भर देश के विभिन्न राज्यों से पिंडदान करने के लिए तीर्थयात्री आते रहतें हैं पर 50 की संख्या में आये ये तीर्थयात्री विदेश से आये हैं. इसलिए वो लोग इनका आतिथ्य सत्कार के साथ पिंडदान और तर्पण का कर्म करवा रहें हैं. 

उन्होंने कहा कि इतनी संख्या में एक साथ इन तीर्थ यात्रियों के पिंडदान कर्म में शामिल होने से यह साबित होता है कि विदेशियों में भी सनातन धर्म के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है. पिंडदान करने वाले 50 लोगों मे से अधिकांश रसियन भाषा बोलतें और समझते हैं पर अनुवादक के जरिये इन्हें पिंडदान की परम्परा को समझाया गया और संस्कृत में ही मंत्र का उच्चारण कर पिंडदान करवाया गया.

इस टीम में अंग्रेजी समझने वाले पिंडदानी निकलाय ने बताया कि भारत की सनातन परम्परा को अपनाने से उनके जीवन में काफी बदलाव आया है, यही वजह है कि गुरूजी से पिंडदान की जानकारी मिलने पर उन्होंने इस यज्ञ को करना जरूरी समझा. महिला पिंडदानी लोना ने बताया कि आज वो अपने यज्ञ से काफी संतुष्टि महसूस कर रही हैं क्योंकि उन्होंने अपने माता-पिता के साथ ही पूर्वजों के प्रति कर्तव्य का निर्वहन किया है. अपने अभिभावकों को सम्मान देने की भारतीय परम्परा काबिले तारीफ है. पिंडदान के बाद इन लोगों ने गया शहर में हरे राम-हरे कृष्ण का भजन करते हुए पैदल यात्रा की.

Web Title: Bihar: 50 foreign women and men in Gaya performed pinddaan according to Sanatan Dharma

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