ललित मोदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, अवमानना का मामला किया बंद
By अंजली चौहान | Published: April 24, 2023 01:14 PM2023-04-24T13:14:39+5:302023-04-24T13:32:43+5:30
कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में ललित मोदी ने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांग ली, जिसे न्यायमूर्ति शाह ने स्वीकार भी कर लिया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए पूर्व आईपीएल अध्यक्ष ललित मोदी के खिलाफ बिना शर्त माफी मांगने के बाद भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद कर दी।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति एमआर शाह और सीआर रविकुमार की पीठ ने मोदी को न्यायपालिका की छवि खराब करने वाली ऐसी किसी भी गतिविधि से दूर रहने की चेतावनी दी है।
दरअसल, कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में ललित मोदी ने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांग ली, जिसे न्यायमूर्ति शाह ने स्वीकार भी कर लिया है।
माफी स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एमआर शाह ने कहा, "अदालत हमेशा माफी में विश्वास करती है जब बिना शर्त और खुले दिल से माफी मांगी जाती है। अदालत ने मोदी को चेतावनी दी कि न्यायपालिका को कलंकित करने के ऐसे किसी भी प्रयास को 'बहुत गंभीरता' से लिया जाएगा।"
अदालत ने कहा कि हम बिना शर्त माफी स्वीकार करते हैं। हम प्रतिवादी ललित मोदी को याद दिलाते हैं कि भविष्य में उनकी ओर से ऐसा कोई भी प्रयास, जो भारतीय न्यायपालिका और अदालतों की छवि को धूमिल करने के समान होगा तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा।
हम बिना शर्त स्वीकार करते हैं क्योंकि अदालत हमेशा माफी में ज्यादा विश्वास करती है खासकर तब जब माफी बिना शर्त और दिल की गहराइयों से मांगी गई हो।
माफी को स्वीकार करते हुए हम मौजूदा कार्यवाही बंद करते हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि सभी संस्थानों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पहले पिछले हफ्ते अदालत में ललित मोदी के केस में सुनवाई करते हुए उन्हें उनके सोशल मीडिया पोस्ट के लिए फटकार लगाई थी।
इसके अलावा उन्हें बिना शर्त माफी मांगने के लिए आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि हलफनामे में कहा गया है कि भविष्य में ऐसी कोई पोस्ट नहीं की जाएगी जो भारतीय न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने के समान हो।
वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने मोदी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करते हुए कहा था कि उन्होंने 30 मार्च, 2023 को एक ट्वीट किया था, जिसने न्यायपालिका की छवि को धूमिल किया और न्यायाधीशों के खिलाफ निंदनीय टिप्पणी की।