भीमा-कोरेगांव मामला: नवलखा मामले की सुनवाई से एक और जज ने किया खुद को अलग, 5 जज कर चुके हैं इनकार
By भाषा | Updated: October 3, 2019 13:47 IST2019-10-03T13:47:58+5:302019-10-03T13:47:58+5:30
नवलखा की याचिका गुरुवार को जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ के सामने सुनवाई के लिये आई थी। मामला पेश होते ही जस्टिस भट्ट ने इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से जस्टिस रवींद्र भट्ट ने किया खुद को अलग (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट के एक और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने गुरुवार को कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद का अलग कर लिया। गौतम नवलखा ने इस मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार करने संबंधी बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दे रखी है।
इससे पहले 30 सितंबर को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और इसके बाद एक अक्टूबर को सदस्य जस्टिस आर गवई ने भी खुद को अलग कर लिया। रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस एनवी रमन्ना और आर सुभाष रेड्डी भी खुद को इस सुनवाई से अलग कर चुके हैं। यह मामला अब 4 अक्टूबर को सुना जाना है।
नवलखा की याचिका गुरुवार को न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिये आई थी। यह मामला पेश होते ही न्यायमूर्ति भट्ट ने इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पीठ को जब नवलखा के वकील ने यह सूचित किया कि बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा उन्हें दिये गये तीन सप्ताह के संरक्षण की अवधि शुक्रवार को समाप्त हो रही है तो पीठ ने कहा कि इस मामले में कल नयी पीठ विचार करेगी।
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर रखी है ताकि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाये। हाई कोर्ट ने 2017 के कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में जनवरी, 2018 में गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से 13 सितंबर को इंकार कर दिया था। इस मामले में नवलखा के साथ ही वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी हैं।
पुणे पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद के बाद एक दिसंबर को कोरेगांव-भीमा में हुयी कथित हिंसा के मामले में जनवरी, 2018 को प्राथमिकी दर्ज की थी।