भीमा-कोरेगांव केस: सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई ने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 1, 2019 12:57 IST2019-10-01T12:56:13+5:302019-10-01T12:57:45+5:30
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ गौतम नवलखा की इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर रखी है ताकि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाये।

भीमा-कोरेगांव केस: सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई ने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया। इससे पहले चीफ जस्टिस गोगोई ने सोमवार को इस सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। अब एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली इस बेंच ने कहा है कि यह मामला 3 अक्टूबर किसी दूसरे बेंच के सामने लिस्ट किया जाएगा।
दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ गौतम नवलखा की इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर रखी है ताकि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाये।
Bhima Koregaon case: Justice BR Gavai of Supreme Court recuses from the hearing the petition filed by Gautam Navlakha for quashing of the FIR against him. A Bench headed by Justice NV Ramana says matter be listed before another bench on October 3. pic.twitter.com/m9X6qqi58z
— ANI (@ANI) October 1, 2019
हाई कोर्ट ने 2017 में भीमा-कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से 13 सितंबर को इंकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में पहली नजर में ठोस सामग्री है। हाई कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें गहराई से जांच की आवश्यकता है।
पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एलगार परिषद् के बाद हुई कथित हिंसा की घटना के सिलसिले में पुणे पुलिस ने जनवरी, 2018 में नवलखा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। नवलखा, वरवर राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।