भीमा कोरेगाँव हिंसा: इन दो पत्रों के आधार पर देश के 5 शहरों से गिरफ्तार किए गए बुद्ध‌िजीवी, जानें क्या लिखा था उसमें?

By पल्लवी कुमारी | Published: August 29, 2018 10:27 AM2018-08-29T10:27:32+5:302018-08-29T10:27:32+5:30

31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव - भीमा गांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा भड़क गई थी।

bhima koregaon: 5 rights activists arrested murder planning pm modi due to two letters | भीमा कोरेगाँव हिंसा: इन दो पत्रों के आधार पर देश के 5 शहरों से गिरफ्तार किए गए बुद्ध‌िजीवी, जानें क्या लिखा था उसमें?

भीमा कोरेगाँव हिंसा: इन दो पत्रों के आधार पर देश के 5 शहरों से गिरफ्तार किए गए बुद्ध‌िजीवी, जानें क्या लिखा था उसमें?

पुणे (महाराष्ट्र), 29 अगस्त: महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों में मंगलवार 28 अगस्त को छापा मारा। जिसमें माओवादियों से संपर्क रखने के शक में कम से कम पांच लोगों को गिरफ्तार किया।  31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव - भीमा गांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा की घटना की जांच के तहत ये छापे मारे गए हैं।

गिरफ्तार हुए लोगों रांची से फादर स्टेन स्वामी , हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख शामिल है। महाराष्ट्र पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से मंगलवार दिल्ली में पत्रकार-सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, गोवा में प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे, रांची में मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता अरुण परेरा, सुजैन अब्राहम, वर्नन गोनसाल्विस,  हैदराबाद में  माओवाद समर्थक कवि वरवर राव, वरवर राव की बेटी अनला, पत्रकार कुरमानथ और फरीदाबाद में सुधा भारद्वाज के घर पर छापेमारी की। 

इन दो पत्रों के आधार पर गिरफ्तारी 

सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि बीते कुछ महीनों में दो पत्र मिले हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की माओवादियों की साजिश का पता चलता है। छापेमारी की एक वजह यह भी थी। ये पत्र माओवादी नेताओं द्वारा कथित तौर पर आदान-प्रदान किए गए थे। सुरक्षा अधिकारियों ने दावा किया कि वर्ष 2016 के पत्र से प्रतीत होता है कि मोदी, शाह और सिंह की हत्या के बारे में नक्सलियों के बीच पहले ही प्लानिंग कर ली गई थी। वहीं 2017 के पत्र से इस योजना का खुलासा हुआ कि रोडशो के दौरान राजीव गांधी हत्या की तरह मोदी पर हमला किया जाए। 

गिरफ्तारी सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती

पुलिस की इस कार्रवाई पर प्रसिद्ध लेखिका अरूंधती रॉय ने आज पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ये गिरफ्तारियां उस सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती हैं जिसे अपना जनादेश खोने का डर है, और दहशत में आ रही है। बेतुके आरोपों को लेकर वकील, कवि, लेखक, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है ...हमें साफ - साफ बताइए कि भारत किधर जा रहा है।’’ 

एक ही वक्त की गई छापेमारी 

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद में तेलुगू कवि वरवर राव, मुंबई में कार्यकर्ता वेरनन गोन्जाल्विस और अरूण फरेरा, फरीदाबाद में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में सिविल लिबर्टीज के कार्यकर्ता गौतम नवलखा के आवासों में तकरीबन एक ही समय पर तलाशी ली गयी। अधिकारी ने बताया कि तलाशी के बाद राव, भारद्वाज, फरेरा, गोन्जाल्विस और नवलखा को आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। यह धारा धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और सौहार्द बनाए रखने के में बाधा डालने वाली गतिविधियों से संबद्ध है। 

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन लोगों पर आईपीसी की कुछ अन्य धाराएं और उनकी कथित नक्सली गतिविधियों को लेकर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून की धाराएं भी लगाई गईं हैं। झारखंड में आदिवासी नेता फादर स्तान स्टेन स्वामी के परिसरों में भी तलाशी ली गई लेकिन उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है। 

नई दिल्ली में नवलखा को भी गिरफ्तार किए जाने के शीघ्र बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को उन्हें कम से कम कल शाम तक दिल्ली से बाहर नहीं ले जाने का आदेश दिया। दरअसल, उच्च न्यायालय नवलखा की ओर से उनके वकील द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहा था। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा नवलखा को 28 अगस्त को दोपहर उनके घर से उठा लिए जाने के बाद यह याचिका दायर की गई थी। इसी तरह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा सुधा भारद्वाज के लिए ट्रांजिट रिमांड हासिल किए जाने तक उन्हें उनके ही घर में रखा जाए। अपुष्ट खबरों के मुताबिक जिन अन्य लोगों के आवास में छापे मारे गए, उनमें सुसान अब्राहम, क्रांति टेकुला और गोवा में आनंद तेलतुंबदे शामिल हैं।

क्या था पूरा मामला 

31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव - भीमा गांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा भड़क गई थी।  कोरेगांव - भीमा, दलित इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वहां करीब 200 साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी, जिसमें पेशवा शासकों को एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश सेना ने हराया था। अंग्रेजों की सेना में काफी संख्या में दलित सैनिक भी शामिल थे। इस लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के लिए हर साल पुणे में हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और कोरेगांव भीमा से एक युद्ध स्मारक तक मार्च करते हैं। 

पुलिस के मुताबिक इस लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ मनाए जाने से एक दिन पहले 31 दिसंबर को एल्गार परिषद कार्यक्रम में दिए गए भाषण से हिंसा भड़क गई। वहीं, कल का घटनाक्रम जून में की गई छापेमारी के ही समान है जब हिंसा की इस घटना के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।  एल्गार परिषद के कार्यक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में एक के परिसर में ली गई तलाशी के दौरान पुणे पुलिस ने एक पत्र बरामद होने का दावा किया था, जिसमें राव के नाम का जिक्र था। विश्रामबाग थाने में दर्ज एक प्राथमिकी के मुताबिक इन पांच लोगों पर माओवादियों से करीबी संबंध रखने का आरोप है। राव को हैदराबाद में गांधी नगर स्थित उनके आवास से पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने इससे पहले उनकी दो बेटियों के आवासों की भी तलाशी ली। 

बीजेपी पर लग रहे हैं आरोप

- इस बीच, सिविल लिबर्टिज कमेटी के अध्यक्ष गद्दम लक्ष्मण ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बुद्धिजीवियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। लक्ष्मण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम कानूनी विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे ...उनकी गिरफ्तारी मानवाधिकारों का घोर हनन है।’’ 

- वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, ‘‘फासीवादी फन अब खुल कर सामने आ गए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है। वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ रहे हैं। वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं।’’ 

- चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने पुलिस की कार्रवाई को ‘‘काफी डराने वाला’’ करार दिया और उच्चतम न्यायालय के दखल की मांग की ताकि आजाद आवाजों पर ‘‘अत्याचार और उत्पीड़न’’ को रोका जा सके। गुहा ने ट्वीट किया, ‘‘सुधा भारद्वाज हिंसा और गैर-कानूनी चीजों से उतनी ही दूर हैं जितना अमित शाह इन चीजों के करीब हैं।

- नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी छापेमारियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, दिल्ली, गोवा में सुबह से ही मानवाधिकार के रक्षकों के घरों पर हो रही छापेमारी की कड़ी निंदा करती हूं। मानवाधिकार के रक्षकों का उत्पीड़न बंद हो। मोदी के निरंकुश शासन की निंदा करती हूं।’’ 

(भाषा इनपुट)

English summary :
Bhima-Koregaon violence latest updates in hindi. Maharashtra Police raided the homes of Left activists in several states on Tuesday 28 August. Five people, who were suspected to have contacts with Maoists, has been arrested. The raids were carried out under the investigation of the incident of violence between Dalits and upper caste Peshwas in Koregaon-Bhima village near Pune.


Web Title: bhima koregaon: 5 rights activists arrested murder planning pm modi due to two letters

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