भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी को गंभीर राजनेता के रूप में करेगी स्थापित, लेकिन इस बात की है बड़ी कमी: विश्लेषक

By भाषा | Updated: November 13, 2022 15:51 IST2022-11-13T15:40:15+5:302022-11-13T15:51:30+5:30

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर जानकारों की माने तो ‘‘कांग्रेस की यह यात्रा सांप्रदायिकता और नफरत से लड़ने जैसे विशिष्ट मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए थी। इससे पार्टी को काफी फायदा मिलता और आम लोगों से भारी समर्थन भी मिल सकता था।’’

Bharat Jodo Yatra will establish Rahul Gandhi as serious politician but this big drawback Analyst | भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी को गंभीर राजनेता के रूप में करेगी स्थापित, लेकिन इस बात की है बड़ी कमी: विश्लेषक

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsभारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी को लेकर विश्लेषकों ने बड़ी बात कही है। विश्लेषकों का दावा है कि भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी को गंभीर राजनेता के रूप में स्थापित करेगी।लेकिन उनका मानना है कि यह यात्रा उतना सफल नहीं होगा क्योंकि यह किसी खास मुद्दे पर केंद्रित नहीं है।

भोपाल: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की जारी ‘भारत जोड़ो यात्रा’कांग्रेस सांसद को एक गंभीर राजनेता के रूप में स्थापित करेगी और उन्हें अपनी मजबूत प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने में बड़ी मदद करेगी, लेकिन देश के विभिन्न राज्यों से गुजर रही इस यात्रा का स्थायी प्रभाव छोड़ने के लिए इसे किसी एक विशेष मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था। 

आपको बता दें कि तमिलनाडु के कन्याकुमारी से सात सितंबर को शुरू हुई कांग्रेस की लगभग 150 दिनों की यह 3,570 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा सात नवंबर को महाराष्ट्र में प्रवेश कर गई। 

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में पहुंचने के बाद आधी यात्रा हो जाएगी पूरी

गांधी के नेतृत्व वाली यह यात्रा 20 नवंबर को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में महाराष्ट्र से प्रवेश करने के बाद लगभग आधी दूरी तय कर लेगी। यह यात्रा जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी। इस यात्रा का लक्ष्य कांग्रेस पार्टी के संगठन को पुनर्जीवित करना है। 

यात्रा से राजनीति पर पड़ेाग असर- राजनीतिक विश्लेषक

राज्य में यात्रा की तैयारियों की निगरानी कर रहे मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का मार्ग किसी स्थान पर पार्टी की राजनीतिक कमजोरी या मजबूती को ध्यान में रखकर तय नहीं किया गया है, वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस यात्रा का देश की राजनीति पर असर पड़ेगा। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान ने कहा, ‘‘यात्रा का भारतीय राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में राहुल गांधी को गैर-गंभीर राजनेता के रूप में चित्रित करने के आरएसएस/भाजपा के सुनियोजित अभियान को प्रभावी ढंग से नुकसान पहुंचाएगी। इस यात्रा से राहुल गांधी देश के एक प्रमुख नेता के रूप में भी उभरेंगे।’’ 

पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और ओलंपियन ने कहा कि यह यात्रा भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (भाजपा-आरएसएस) द्वारा खेली जा रही ‘विभाजन और ध्रुवीकरण की राजनीति’ के खिलाफ कांग्रेस की ओर से की जा रही है। 

पार्टी अध्यक्ष के पद को त्याग कर साबित किया कि वे है गंभीर राजनेता- असलम शेर खान

खान ने कहा कि गांधी (52) ने कांग्रेस नेताओं के भारी दबाव के बावजूद गांधी परिवार को पार्टी अध्यक्ष के पद से दूर रखने के अपने शब्दों पर कायम रहकर खुद को एक गंभीर राजनेता साबित किया है। 

पूर्व ओलंपियन ने कहा, ‘‘पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से कर राहुल गांधी ने साबित कर दिया है कि वह भारतीय राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले गंभीर राजनेता हैं।’’ 

इस कारण यात्रा को नहीं मिल रहा है जनसमर्थन- गिरिजा शंकर

हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर ने तर्क दिया कि इस राष्ट्रव्यापी पैदल यात्रा को अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा किसी खास मुद्दे पर केंद्रित नहीं है और इसलिए इसे उस तरह का जनसमर्थन नहीं मिल रहा है जैसा कि अतीत में इस तरह की यात्राओं को मिला करता था।’’ 

शंकर ने कहा, ‘‘महात्मा गांधीजी ने नमक विरोधी कानून भंग करने के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ ध्यान केंद्रित करते हुए दांडी यात्रा निकाली या नमक सत्याग्रह किया और इसलिए इसे स्वेच्छा से भारी जनसमर्थन मिला था।’’ 

उन्होंने कहा कि इसी तरह 1990 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा पूरी तरह से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में बड़े पैमाने पर लामबंदी पर केंद्रित थी और उस समय इसे भी लोगों से भारी जनसमर्थन मिला था। 

सांप्रदायिकता और नफरत जैसे को मुद्दों पर कांग्रेस को करना चाहिए था यात्रा- वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक

इस पर बोलते हुए शंकर ने आगे कहा, ‘‘कांग्रेस की यात्रा सांप्रदायिकता और नफरत से लड़ने जैसे विशिष्ट मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए थी। इससे पार्टी को काफी फायदा मिलता और आम लोगों से भारी समर्थन मिल सकता था।’’ 

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई का मानना है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में दम नहीं है और उन्होंने इसे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ने की कोशिश की है। 

मामले में कमलनाथ ने कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा का मार्ग किसी स्थान पर पार्टी की राजनीतिक कमजोरी या मजबूती को ध्यान में रखकर तय नहीं किया गया है। भारत जोड़ो यात्रा केवल राजनीतिक यात्रा नहीं है। यह अनेकता में एकता की भारतीय संस्कृति और संविधान को बचाने की यात्रा है। राहुल गांधी ने यह यात्रा निकालने की इसलिए सोची क्योंकि हमारी संस्कृति और संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं।’’ 

Web Title: Bharat Jodo Yatra will establish Rahul Gandhi as serious politician but this big drawback Analyst

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