कृषि कानूनों के विरूद्ध भारत बंद : महाराष्ट्र में जनजीवन प्रभावित, गैर भाजपा दलों ने किया प्रदर्शन

By भाषा | Updated: September 27, 2021 16:22 IST2021-09-27T16:22:38+5:302021-09-27T16:22:38+5:30

Bharat Bandh against agricultural laws: Life affected in Maharashtra, non-BJP parties demonstrated | कृषि कानूनों के विरूद्ध भारत बंद : महाराष्ट्र में जनजीवन प्रभावित, गैर भाजपा दलों ने किया प्रदर्शन

कृषि कानूनों के विरूद्ध भारत बंद : महाराष्ट्र में जनजीवन प्रभावित, गैर भाजपा दलों ने किया प्रदर्शन

मुंबई, 27 सितंबर केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में किसान यूनियनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए भारत बंद के दौरान महाराष्ट्र में वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं एवं जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ जबकि बंद के समर्थन में कई विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया और कई हिस्सों में बाइक रैली निकाली गयी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि पुणे में एक कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) बंद रहा और किसान समर्थक एक संगठन ने नागपुर में सड़क जाम किया जबकि कुछ जगह प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ दिया गया।

उन्होंने बताया कि मुंबई में कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हो गए और कृषि कानूनों के विरूद्ध नारेबाजी की। हालांकि दुकानें, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान आम दिनों की तरह खुले थे और परिवहन सेवाएं सामान्य थीं।

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार मुंबई में अब तक कोई अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक दलों की स्थिति और कार्यक्रमों के आधार पर बाद में अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती पर निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने बताया, ‘‘अब तक कोई अतिरिक्त बल तैनात नहीं किया गया है, लेकिन स्थानीय आवश्यकता के अनुसार इसे तैनात किया जा सकता है।’’ पुलिस ने प्रमुख चौराहों और सड़कों पर अवरोधक भी नहीं लगाए हैं, जो बंद के दौरान आमतौर पर एक सामान्य कार्रवाई होती है और अब तक जिले के बाहर से कोई अतिरिक्त सुरक्षा बल नहीं बुलाया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि शहर में अब तक कोई बड़ा प्रदर्शन या कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान हमेशा की तरह खुले रहे और यातायात सामान्य रहा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा तीन विवादास्पद कानूनों को अपनी मंजूरी देने के एक साल पूरा होने और कानून के विरोध में दिल्ली से सटी सीमाओं पर शिविरों में किसानों के डटे रहने के 10 महीना होने पर 40 किसान यूनियनों की संस्था संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद का आह्वान किया है। बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक प्रभावी है।

पुणे में वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं, जबकि मंडई क्षेत्र में एक प्रदर्शन बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल (एस), शेतकारी कामगार पक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

पुणे ऑटोरिक्शा पंचायत के संयोजक नितिन पवार ने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों के अलावा, कई अन्य संगठनों और श्रमिक संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।’’ पुणे की कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी), जिसे मार्केटयार्ड के नाम से भी जाना जाता है, बंद रही।

मार्केटयार्ड के प्रशासक मधुकांत गराड ने कहा, ‘‘व्यापारी संघों, पूना मर्चेंट चैंबर्स और विभिन्न श्रमिक संघों ने घोषणा की थी कि भारत बंद के दौरान बाजार बंद रहेगा और किसानों, व्यापारियों और आपूर्तिकर्ताओं को इसके बारे में पहले ही सूचित कर दिया गया था।’’

पड़ोसी सोलापुर जिले में माकपा नेता नरसैया आदम ने किसानों के समर्थन में अक्कलकोट रोड पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। राज्य के विदर्भ क्षेत्र में भी केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की सूचना थी, लेकिन जनजीवन अप्रभावित रहा।

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भारत बंद के समर्थन में अकोला जिले में बाइक रैली का नेतृत्व किया। अरुण वारकर के नेतृत्व में महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने सुबह नागपुर जिले के वरोदा इलाके में रायपुर राजमार्ग पर सड़क जाम किया। वारकर ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया।

यवतमाल में कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे और पूर्व मंत्री वसंत पुरके ने राकांपा और अन्य दलों के कार्यकर्ताओं के साथ केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विधान चौक पर प्रदर्शन किया। गोंदिया जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भारत बंद के समर्थन में मोटरसाइकिल रैली निकाली।

बाइक रैली जयस्तंभ चौक से शुरू हुई और शहर की मुख्य सड़कों से होकर गुजरी, इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद जिले में महाराष्ट्र राज्य किसान सभा, शेतमाजुर संघ और विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने क्रांति चौक और सिल्लोड और पैठन जैसे अन्य क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया।

पुलिस निरीक्षक सचिन इंगोले ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वालुज इलाके में 12 महिलाओं समेत करीब 30 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।

गतिरोध को तोड़ने और किसानों के विरोध को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार और किसान यूनियनों ने अब तक 11 दौर की बातचीत की है, जो बेनतीजा रही। आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी। दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों के प्रदर्शन के तहत ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच बातचीत फिर से शुरू नहीं हो पाई है।

तीन कृषि कानूनों किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित किया गया था।

किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून ‘मंडी’ और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों की रहम पर रहना होगा। हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया और कहा कि इन कदमों से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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Web Title: Bharat Bandh against agricultural laws: Life affected in Maharashtra, non-BJP parties demonstrated

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