बंगाल : कलकत्ता उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश राज्य में हिंसा पर एसआईटी जांच की निगरानी करेंगी
By भाषा | Published: September 3, 2021 05:47 PM2021-09-03T17:47:14+5:302021-09-03T17:47:14+5:30
कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई कथित हिंसा में बलात्कार और हत्या के अलावा अन्य मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी के कामकाज की निगरानी करेंगी। पीठ ने 19 अगस्त को कई याचिकाओं पर अपने फैसले में पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव के नतीजों की दो मई को घोषणा के बाद बलात्कार और बलात्कार के प्रयास सहित हत्या और महिलाओं के प्रति बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के सभी मामलों की जांच का निर्देश दिया था। इन याचिकाओं में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र जांच का आदेश देने का अनुरोध किया गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) चेल्लूर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के अन्य मामलों की जांच के लिए उसके द्वारा गठित किए गए विशेष जांच दल के कामकाज की निगरानी करेंगी। चेल्लूर केरल उच्च न्यायालय, कलकत्ता उच्च न्यायालय और बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। वह कलकत्ता उच्च न्यायालय में यह पद संभालने वाली पहली महिला भी हैं।पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 19 अगस्त को कहा था कि एसआईटी के कामकाज की ''सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश निगरानी करेंगे, जिसके लिए उसकी सहमति लेने के बाद एक अलग आदेश पारित किया जाएगा।'' हालांकि, शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की ''तत्काल अनुपलब्धता'' के कारण, पीठ ने शुक्रवार को अपने पहले के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि ''एसआईटी के कामकाज की निगरानी एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जानी है।''पीठ ने अपने आदेश में कहा, ''हमने इस अदालत की सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर से कार्यभार संभालने का अनुरोध किया था। उन्होंने बहुत ही विनम्रता से हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। हम तदनुसार उन्हें एसआईटी के कामकाज का अवलोकन करने के लिए नियुक्त करते हैं।'' एसआईटी में पश्चिम बंगाल काडर के आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सोमेन मित्रा और रणवीर कुमार शामिल हैं। पीठ ने निर्देश दिया था कि एसआईटी मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए किसी भी अन्य पुलिस अधिकारी या संस्थान या एजेंसी की सहायता ले सकती है। पांच सदस्यीय पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सोमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार शामिल थे। न्यायालय ने यह फैसला राज्य में चुनाव बाद कथित हिंसा के आरोपों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के बाद सुनाया था। इस समिति ने 13 जुलाई को अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों जांच की निगरानी उच्च न्यायालय करेगा और उसने सीबीआई तथा एसआईटी को 19 अगस्त से छह हफ्ते के भीतर अपनी स्थिति रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने एसआईटी की मदद करने के लिए भारतीय पुलिस सेवा के 10 अधिकारियों को नियुक्त किया है।
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