बंगाल चुनाव: नंदीग्राम सीट पर कई निर्दलीय उम्मीदवार व्यक्तिगत कारणों से लड़ रहे चुनाव

By भाषा | Updated: March 22, 2021 18:33 IST2021-03-22T18:33:15+5:302021-03-22T18:33:15+5:30

Bengal elections: many independent candidates contesting Nandigram seat due to personal reasons | बंगाल चुनाव: नंदीग्राम सीट पर कई निर्दलीय उम्मीदवार व्यक्तिगत कारणों से लड़ रहे चुनाव

बंगाल चुनाव: नंदीग्राम सीट पर कई निर्दलीय उम्मीदवार व्यक्तिगत कारणों से लड़ रहे चुनाव

(प्रदीप्त तापदार)

नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल), 22 मार्च पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में महारथियों के मुकाबले वाले नंदीग्राम सीट पर कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी विभिन्न कारणों कारणों से मैदान में उतरे हैं और उनका व्यक्तिगत एजेंडा है।

शेख सद्दाम हुसैन अपने पिता मोहम्मद इलियास का सम्मान बहाल करने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं, जो नंदीग्राम से भाकपा के दो बार विधायक रह चुके हैं।

इलियास ने 2007 में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इससे कुछ महीने पहले एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में विकास कार्य के लिए एक गैर सरकारी संगठन से उन्हें कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था। इस प्रकरण के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

हुसैन ने कहा, ‘‘मेरे पिता बेकसूर थे। 2007-08 के भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान उथल-पुथल वाले माहौल में एक स्थानीय नेता ने उन्हें फंसा दिया था। वह (इलियास) स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय थे। हालांकि, दुख की बात यह है कि ना तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और ना ही वाम मोर्चा उनके साथ खड़ा हुआ तथा ना ही सच्चाई जानने की कोशिश तक की।’’

नंदीग्राम सीट माकपा को देने के फैसले के बाद कुछ दिन पहले ही हुसैन ने भाकपा छोड़ दी।

हुसैन ने कहा, ‘‘नंदीग्राम सीट 1960 के दशक से भाकपा का गढ़ रहा है। लेकिन भाकपा ने यह सीट माकपा को देने का फैसला किया। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह विडंबना है कि जिस पत्रकार,संकुदेब पांडा, ने यह स्टिंग ऑपरेशन तृणमूल कांगेस की ओर से किया था, वह अब भाजपा के साथ है और ममता बनर्जी शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। यही जीवन की सच्चाई है।’’

निर्दलीय उम्मीदवार दिलीप कुमार गायेन (44) ने कहा, ‘‘नंदीग्राम के चुनावी इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने के लिए वह चुनाव लड़ रहे हैं।’’

नंदीग्राम सीट पर एक अप्रैल को मतदान होने वाला है।

इस सीट पर आठ उम्मीदवार मैदान में हैं। ममता और अधिकारी के अलावा, हुसैन, माकपा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी, एसयूसीआई(सी) के मनोज कुमार दास और तीन अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।

सुब्रत बोस (62) इस बात को लेकर नाराज हैं कि इन दिनों उन्हें काई सारे कॉल आ रहे हैं और इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे की वजह उनसे पूछी जा रही है।

कोलकाता निवासी बोस ने कहा, ‘‘मैं देश का नागरिक हूं और चुनाव लड़ने का मुझे पूरा हक है। मैं किसी के भी प्रति जवाबदेह नहीं हूं। ’’

बोस के विचारों से सहमति जताते हुए 33 वर्षीय स्वप्न पारूली ने भी कहा , ‘‘मैं देश की सेवा करना चाहता हूं। इसलिए चुनाव लड़ने का फैसला किया।’’

बंगाल में 2006 के विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर अधिकारी ने 2016 में 67 प्रतिशत से अधिक मतों के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं भाकपा उम्मीदवार को 81,230 मतों के अंतर से हराया था। इससे पहले, 2011 में यह सीट तृणमूल कांग्रेस की झोली में गई थी।

अधिकारी के चुनाव एजेंट एवं भाजपा नेता मेघनाथ पॉल ने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी मतों को काटने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा किये हैं।

वहीं,ममता के चुनाव एजेंट शेख सुफियां ने कहा, ‘‘हम इस तरह के सस्ते हथकंडे नहीं करते। मुझे लगता है कि भाजपा ने ही वोट काटने के लिए इतनी अधिक संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा किये हैं। ’’

राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए आठ चरणों में चुनाव होने वाले हैं।

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Web Title: Bengal elections: many independent candidates contesting Nandigram seat due to personal reasons

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