कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राजभवन और ममता बनर्जी सरकार के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। खबरों के मुताबिक 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव से पहले राज्य में हो रही हिंसा को लेकर गवर्नर सीवी आनंद बोस ने बेहद सख्त रूख अपनाया है।
राजभवन के सूत्रों के अनुसार राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पंचायत चुनावों से पहले राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) राजीव सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट बुधवार रात में राज्य सरकार को "लौटा" दी है। जानकारी के अनुसार इस महीने की शुरुआत में पंचायत चुनाव के लिए चल रही नामांकन प्रक्रिया में हत्या, हिंसा और झड़प की घटनाओं पर स्पष्टीकरण के लिए तलब किए जाने के बाद राजीव सिन्हा राज्यपाल बोस के सामने पेश नहीं हुए थे, जिसके कारण राज्यपाल ने गहरी नाराजगी जताई और उन्होंने सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट को मिलने के कुछ घंटों बाद सरकार को वापस भेज दिया।
इस संबंध में बताया जा रहा है कि गवर्नर राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के अधिकारी हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्यपाल ने बुधवार रात एसईसी राजीव सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट लौटा दी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनके द्वारा तलब किये जाने के बावजूद राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा उनसे सामने पेश नहीं हुए थे।
जबकि राज्यपाल बोस चाहते थे कि सिन्हा उनके समक्ष सूबे में हो रही हत्याओं, हिंसा और झड़प की घटनाओं पर राजभवन में उन्हें स्थिति स्पष्ट कराएं। खबरों के अनुसार गवर्नर ने राजीव सिन्हा को 17 जून को राजभवन में बुलाया था, लेकिन सिन्हा ने यह कहते हुए उनके सामने उपस्थित नहीं हुए कि वह आगामी पंचायत चुनावों के लिए नामांकन की जांच प्रक्रिया में व्यस्त हैं।
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने गवर्नर बोस से अनुरोध किया था कि उन्हें 17 जून को पेश होने से छूट दी जाए और वह उन्हें किसी और दिन मिलने का समय दें। मालूम हो कि राज्यपाल ने सीवी आनंद बोस ने बीते 7 जून को राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर राजीव सिन्हा के नाम को मंजूरी दे दी थी और उसके अगले ही दिन उन्होंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी।