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लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में तीन साल से एक जिले में तैनात पुलिसकर्मी हटाए जाएंगे

By राजेंद्र कुमार | Updated: September 24, 2023 19:39 IST

तय हुआ है कि बीते तीन साल से एक जिले में तैनात पुलिसकर्मियों का तबादला आगामी 30 सितंबर तक किया जाएगा। इसमें अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) से उप निरीक्षक रैंक (एएसआई) के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल होंगे।

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ठळक मुद्देलोकसभा चुनाव 2024 कराने के लिए पुलिस महकमे ने अपनी तैयारी शुरू कर दी हैचुनाव ड्यूटी के दौरान हटाए गए पुलिसकर्मी की चुनाव में नहीं लगेगी ड्यूटीसूबे में नए एडीजी कानून व्यवस्था की तलाश शुरू दो आईपीएस का नाम चर्चा में

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण तरीके से आगामी लोकसभा चुनाव कराने के लिए पुलिस महकमे ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत यह तय हुआ है कि बीते तीन साल से एक जिले में तैनात पुलिसकर्मियों का तबादला आगामी 30 सितंबर तक किया जाएगा। इसमें अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) से उप निरीक्षक रैंक (एएसआई) के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल होंगे। इसके अलावा चुनाव ड्यूटी के दौरान आयोग के निर्देश पर हटाए गए पुलिस अफसरों और पुलिसकर्मियों को भी फील्ड की ड्यूटी पर तैनाती नहीं दी जाएगी। 

यह कार्य तेजी से हो, इसके लिए शासन के निर्देश पर गठित स्क्रीनिंग कमेटी में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए प्रदेश के सभी एडीजी जोन और पुलिस आयुक्तों से ऐसे पुलिसकर्मियों का तबादला करके सूची डीजीपी मुख्यालय भेजने को कहा गया है। एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने इस संबंध में सभी एडीजी जोन व पुलिस आयुक्तों को भेजे पत्र में कहा कि निर्वाचन कार्य में लगा कोई भी निरीक्षक एवं उप निरीक्षक यदि अपने गृह जनपद में तैनात हो, तो उसका तबादला कर दिया जाये। जो निरीक्षक एवं उप निरीक्षक 31 मई 2024 तक विगत चार वर्षों में तीन वर्ष एक जिले में तैनाती रहा है, उसको दूसरे जिले में स्थानांतरित किया जाये।

साथ ही, 31 मई 2022 से पूर्व उस विधानसभा क्षेत्र में हुए सामान्य अथवा उपचुनाव में नियुक्त रहे हैं या लगातार नियुक्त हैं, उनका भी दूसरे जिलों में भेजा जाए. इसके साथ ही ऐसे निरीक्षक एवं उप निरीक्षक जिनकी 31 मई 2024 को सेवानिवृत्ति में केवल छह माह शेष है, उनका तबादला ना किया जाए। ऐसे पुलिस अफसर और पुलिसकर्मी स्क्रीनिंग के दायरे में नहीं आएंगे और उनकी चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी।

संजय सिंघल के पत्र में यह भी लिखा गया है कि बीते विधानसभा चुनावों या अन्य किसी चुनाव में शिकायत के आधार पर किसी पुलिसकर्मी या पुलिस अफसर को हटाया गया है अथवा अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी है, तो उनको भी चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जायेगा। यानि ऐसे अफसरों को फील्ड की पोस्टिंग से दूर रखा जाएगा।

इसके अलावा यदि किसी पुलिस निरीक्षक एवं उपनिरीक्षक के खिलाफ कोई विशिष्ट शिकायत या किसी राजनीतिक दल के प्रति पूर्वाग्रह या पक्षपात की शिकायत है, तो उसका दूसरी जगह तबादला किया जायेगा। यदि किसी पुलिस अफसर के खिलाफ कोई गंभीर प्रकरण है तो उसके बारे में मुख्यालय को जानकारी देनी होगी।

 यदि कोई भी निरीक्षक एवं उप निरीक्षक जो जिला पुलिस के कार्य के लिए उपयुक्त नहीं है, उसके बारे में कारण सहित प्रस्ताव मुख्यालय को भेजना होगा। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर तैयार की गई। पुलिस तबादला नीति में यह सारी बातें विस्तार से लिख दी गई, इस नीति के अनुसार ही पुलिस तीन साल से एक जिले में तैनात पुलिसकर्मियों के तबादले किए जाने हैं।

एडीजी कानून व्यवस्था की भी तलाश शुरू 

तीन साल से एक ही जिले और एक ही पोस्ट पर तैनात अफसरों को हटाने के निर्णय के तहत अब राज्य में अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) कानून व्यवस्था के पर पर भी नया अधिकारी तैनात किया जाएगा। अभी एडीजी कानून व्यवस्था का दायित्व विशेष डीजीपी प्रशांत कुमार सँभाल रहे हैं। उन्हें 19 मई 2000 को एडीजी कानून व्यवस्था का दायित्व सौंपा गया था।

इस पद पर रहते उन्हे ही उनका विशेष डीजीपी के पद पर प्रमोशन हुआ और उन्हे सूबे की कानून व्यवस्था का दायित्व संभाले हुए तीन वर्ष से अधिक का समय हो गया है। ऐसे में एडीजी कानून व्यवस्था का दायित्व किसी अन्य अधिकारी को देना ही होगा। चुनाव आयोग के नियमों के तहत ऐसा करना होगा।

इसके चलते अब एडीजी कानून व्यवस्था के पद पर तैनात किए जाने वाले अधिकारी की तलाश शुरू हो गई है. बताया जा रहा है कि 1991 बैच के आईपीएस राजीव कृष्णा या 1993 बैच के आईपीएस राजीव सब्बरवाल में से ही किसी को एडीजी कानून व्यवस्था का दायित्व सौंपा जाएगा। 

एडीजी कानून व्यवस्था के पद पर राजीव कृष्णा को तैनात कराने के लिए बीते विधानसभा में चुनाव जीते एक विधायक लखनऊ से लेकर दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्ष नेताओं से पैरवी कर रहे हैं। 

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