पालघर में साधुओं से पहले डॉक्टर और पुलिस पर हमला कर चुके हैं गांव वाले, लॉकडाउन के दौरान फैली है ये अफवाह
By पल्लवी कुमारी | Published: April 20, 2020 12:01 PM2020-04-20T12:01:31+5:302020-04-20T12:01:31+5:30
maharashtra palghar mob lynching Case: 16 अप्रैल की रात तीन व्यक्ति (दो साधु और एक ड्राइवर) मुंबई के कांदीवली से कार में सवार होकर गुजरात के सूरत जा रहे थे। इसी दौरान, पालघर जिले में भीड़ ने इन्हें चोर समझकर उनके वाहन को रोक लिया और उनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी।
मुंबई: महाराष्ट्र के पालघर जिले में चोर होने के संदेह में गुरुवार (16 अप्रैल) रात तीन लोगों भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने के मामले की पूरे देश में चर्चा हो रही है। इसी बीच ये खबर सामने आई है कि साधुओं की भीड़ द्वारा की गई लिंचिंग से तीन दिन पहले इसी इलाके में पुलिस और डॉक्टरों पर गांव वालों ने हमला किया था। बीते गुरुवार (16 अप्रैल) को भी मॉब लिचिंग के घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर एक गांव में ग्रामीणों ने शक के आधार पर कुछ पुलिस वाले और एक डॉक्टर की पिटाई कर दी थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 16 अप्रैल से तीन दिन पहले यानी 13 अप्रैल को डॉक्टर और तीन पुलिसवालों के साथ थाने के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर आनंद काले पर ग्रामीणों ने चोर-डाकू समझ कर हमला किया था और पत्थरों से मारा था। गांव वालों ने डॉक्टर विश्वास वाल्वी को चोर समझ लिया था। डॉक्टर विश्वास वाल्वी कासा के सारनी गांव में एक मेडिकल कैंप का संचालन करते हैं। हालांकि जब इन लोगों पर हमला हुआ पुलिस ने इन्हे वक्त रहते बचा लिया था। किसी को ज्यादा गंभीर चोटें नहीं आई थी लेकिन डॉक्टर और पुलिस वाले घायल हो गए थे।
लॉकडाउन के बाद इलाके में चोर, डाकुओं के घूमने की अफवाह है
रिपोर्ट के मुताबिक पालघर जिले में जिस जगह मॉब लिंचिंग की घटना हुई है, वहां लॉकडाउन के बाद से ही गांव वाले खुद रात-दिन पहरेदारी कर रहे हैं। इलाके में चोर, डाकुओं के घूमने की अफवाह फैली हुई है। इसी अफवाह की वजह से यहां पर किसी पर भी संदेह कर रहे हैं।
पालघर लिंचिंग मामला : मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी
पालघर लिंचिंग मामले में तीन लोगों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने के मामले में राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिए हैं। वहीं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि इस मामले में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को जांच का आदेश दिए जाने की जानकारी देते हुए इस घटना को कोई सांप्रदायिक रंग नहीं देने की भी चेतावनी दी, क्योंकि तीन मृतकों में दो लोग साधु बताए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय के ट्विटर हैंडल से देर रात ट्वीट किया गया है। उसमें मुख्यमंत्री ने कहा है, ‘‘पालघर की घटना पर कार्रवाई हुई है। पुलिस ने दो साधुओं, एक ड्राइवर और घटना के वक्त ही पुलिसकर्मियों पर हमला करने के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।’’
उन्होंने कहा है, ‘‘इस जघन्य अपराध और शर्मनाक घटना के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें जितनी कड़ी सजा संभव है दिलायी जाएगी।’’
वहीं गृह मंत्री देशमुख ने ट्वीट किया, '' सूरत जा रहे तीन लोगों की पालघर में हुई हत्या में संलिप्त 101 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। हत्या के मामले में मैंने उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है।'' देशमुख ने कहा कि पुलिस ऐसे लोगों पर करीबी नजर रख रही है, जो इस घटना के जरिए समाज में वैमनस्य पैदा करना चाहते हैं।
देशमुख ने कहा, '' पालघर की घटना में जो लोग मारे गए और जिन्होंने हमला किया, वह अलग-अलग धर्मों के नहीं थे।''
यह घटना उस समय हुई, जब 16 अप्रैल की रात तीन व्यक्ति मुंबई के कांदीवली से कार में सवार होकर गुजरात के सूरत जा रहे थे। इसी दौरान, पालघर जिले में भीड़ ने इन्हें चोर समझकर उनके वाहन को रोक लिया और उनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी।