बदायूं (उप्र) 11 जनवरी बदायूं के उघैती थाना क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की जांच में पुलिस पर लग रहे लापरवाही के आरोपों के बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा महिला के शव की पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं कराने की बात सामने आयी है।
बदायूं के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यशपाल सिंह ने इस संदर्भ में पूछे जाने पर कहा, ‘‘प्रशासन ने वीडियोग्राफी कराने के कोई भी निर्देश नहीं दिए थे, इसलिए शव की पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं कराई गई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि प्रशासन उन्हें निर्देश देता, तो अवश्य ही पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करायी जाती।’’
महिला के शव का पोस्टमार्टम मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा गठित तीन डॉक्टरों के पैनल ने किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं से बलात्कार अथवा अन्य संदिग्ध मामलों में पैनल द्वारा की जाने वाली पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञ पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी देखकर अपनी राय दे सकें।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने 'भाषा' को बताया कि संवेदनशील मामलों में साक्ष्यों का बड़ा महत्व होता है और जांच एजेंसियों को साक्ष्य एकत्र करने चाहिए।'' उन्होंने कहा, ''कोई गाइड लाइन हो या न हो लेकिन पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी महत्वपूर्ण साक्ष्य है और इसमें चूक नहीं होनी चाहिए।''
सिंह के मुताबिक उच्चतम न्यायालय ने निर्भया कांड के बाद वीडियोग्राफी के दिशा निर्देश जारी किये थे।
इस संदर्भ में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अजीत कुमार द्विवेदी ने बताया, ''निर्भया कांड के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसी घटनाओं में एक महिला समेत तीन चिकित्सकों के पैनल से पोस्टमार्टम कराने और उसकी वीडियोग्राफी कराकर सीडी को अदालत में दाखिल करने की हिदायत दी गई थी और इसका अनुपालन किया जाना चाहिए था।''
फौजदारी मामलों के बदायूं के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सीय जांच अथवा पोस्टमार्टम करने के संबंध में केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें कहा गया है कि ऐसे मामलों में पीड़िता/मृतक की चिकित्सीय जांच तीन डॉक्टरों के पैनल से कराई जाएगी, जिसमें एक महिला चिकित्सक का होना अनिवार्य है तथा पूरी पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी अनिवार्य रूप से कराई जाएगी।’’
उल्लेखनीय है कि तीन जनवरी को उघैती थाना क्षेत्र के एक गांव में मंदिर गयी 50 वर्षीय एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। परिजनों ने मंदिर के महंत सत्य नारायण और उसके दो साथियों पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया है, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था।
शव का पंचनामा भरने, मुकदमा दर्ज करने एवं पोस्टमार्टम कराने में अत्यधिक देरी की गई। इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे। इस मामले को दिल्ली के निर्भया कांड से जोड़ते हुए राजनीतिक दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
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