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Ayodhya Verdict: मिलिए सुप्रीम कोर्ट के उन 5 जजों से, जिन्होंने सुनाया अयोध्या पर फैसला

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: November 9, 2019 14:07 IST

Ayodhya Verdict: Five Judges: अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जिन पांच जजों ने सुनाया फैसला, जानिए कौन हैं वो

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ठळक मुद्देCJI रंजन गोगोई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया अयोध्या मामले पर फैसलाराम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 40 दिन की सुनवाई की थी

अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया।

अपने फैसले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या की 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को रामलाल विराजमान को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने अयोध्या में उस विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट के गठन का आदेश दिया।

वहीं कोर्ट ने इस मामले के दूसरे पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का  फैसला सुनाया। 

सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से शुरू हुई 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

अयोध्या मामले पर ये ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने सुनाया, आइए जानें कौन है वो पांच जज जिन्होंने सुनाया अयोध्या पर फैसला।

सुप्रीम कोर्ट के वे 5 जज जिन्होंने सुनाया अयोध्या पर फैसला

1.चीफ जस्टिस रंजन गोगोई: असम से आने वाले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अक्टूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले उत्तरी पूर्वी राज्यों के पहले व्यक्ति बने थे। वह 3 अक्टूबर 2018 को देश के 46वें चीफ जस्टिस बने थे और 17 नवंबर 2019 को रिटायर हो रहे हैं। 1978 में उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी और बाद में वह उसके जज बने थे। सुप्रीम कोर्ट से पहले वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं।

2.जस्टिस एसए बोबडे: जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, 17 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के उत्तराधिकारी हैं। वह 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एडिशनल जज के रूप में जुड़े थे और दो साल बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। महाराष्ट्र में जन्मे जस्टिस बोबडे की नियुक्ति 2013 में सुप्रीम कोर्ट में हुई थी। वह गोगोई के रिटायरमेंट के बाद अगले 18 महीनों के लिए देश के 47वें चीफ जस्टिस बनेंगे। हाल ही में 63 वर्षीय बोब़डे ने कहा था कि अयोध्या विवाद केस 'दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण मामले' में से एक है।

3.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के सबसे लंबे समय तक चीफ जस्टिस रहे वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति मई 2016 में तब के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा हुई थी। हार्वड से लॉ ग्रैजुएट डीवाई चंद्रचूड़ इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह थे। 

4.जस्टिस अशोक भूषण: जस्टिस भूषण ने अपना करियर 1979 में इलाबहाबाद हाई कोर्ट में एक एडवोकेट के तौर पर शुरू किया था, बाद में वह अप्रैल 2001 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज भी बने। जुलाई 2014 में उनका ट्रांसफर केरल हाई कोर्ट में किया गया थआ और उन्होंने कुछ महीनों बाद इसके कार्यकारी चीफ जस्टिस बने थे। मार्च 2015 में वह केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भूषण की नियुक्ति 13 मई 2016 में हुई थी।

5. जस्टिस अब्दुल नजीर: जस्टिस अब्दुल नजीर ने फरवरी 1993 में एडवोकेट के रूप में करियर शुरू किया था और कर्नाटक हाई कोर्ट में 20 सालों तक प्रैक्टिस की। उन्हें फरवरी 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति फरवरी 2017 में हुई थी। जस्टिस अब्दुल नजीर अगस्त 2017 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब चीफ जस्टिस जेएस खेहर के साथ उन्होंने फैसला दिया था कि तीन तलाक 'धर्मशास्त्र के मुताबिक गलत' है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट निजी कानूनों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। बाद में केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में विधेयक लाते हुए तीन तलाक पर बैन लगा दिया। 

टॅग्स :राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामलाअयोध्या विवादराम जन्मभूमिसुप्रीम कोर्टअयोध्या
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