Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 40 दिन चली, 134 साल पुराने विवाद खत्म

By भाषा | Published: November 9, 2019 03:21 PM2019-11-09T15:21:40+5:302019-11-09T15:21:40+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की 40 दिन की सुनवाई के दौरान कई उतार चढ़ाव आये और इस दौरान दोनों पक्षों के बीच तकरार और नोक झोंक भी हुयी।

Ayodhya Verdict: Hearing in Supreme Court lasts 40 days, dispute over 134 years old | Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 40 दिन चली, 134 साल पुराने विवाद खत्म

मालिकाना हक के मुद्दे पर छह अगस्त को सुनवाई शुरू की जो 16 अक्टूबर तक चली।

Highlightsपीठ ने केशवानंद भारती मामले में 68 दिन तक सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुनाया था।इस फैसले में संविधान पीठ ने संविधान के बुनियादी ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया था।

उच्चतम न्यायालय में राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई 40 दिन तक चली थी।

इससे पहले 1973 में बहुचर्चित केशवानंद भारती प्रकरण में शीर्ष अदालत ने 68 दिन सुनवाई की थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की 40 दिन की सुनवाई के दौरान कई उतार चढ़ाव आये और इस दौरान दोनों पक्षों के बीच तकरार और नोक झोंक भी हुयी।

इससे पहले, 1973 में संविधान पीठ ने केशवानंद भारती मामले में 68 दिन तक सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुनाया था। इस फैसले में संविधान पीठ ने संविधान के बुनियादी ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। इसके बाद आधार योजना की वैधता के सवाल पर न्यायालय ने लगातार 38 दिन तक सुनवाई की थी।

अयोध्या प्रकरण में संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मालिकाना हक के मुद्दे पर छह अगस्त को सुनवाई शुरू की जो 16 अक्टूबर तक चली। यह सुनवाई पहले 17 अक्टूबर को पूरी होनी थी लेकिन न्यायालय ने समयाभाव की वजह से इसे एक दिन पहले ही खत्म किया लेकिन इस दौरान संविधान पीठ ने कुछ दिन एक एक घंटा देर तक सुनवाई की थी।

संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई पूरी होने के बाद से ही 17 नवंबर तक न्यायालय का फैसला आने की उम्मीद थी जो शनिवार को पूरी हुयी। संविधान पीठ ने अपने सर्वसम्मति के निर्णय में जहां 2.77 एकड़ के विवादित स्थल पर ही राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया तो दूसरी ओर किसी प्रमुख स्थान मस्जिद निर्माण के लिये पांच एकड़ का भूखंड आबंटित करने का केन्द्र को निर्देश भी दिया।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। संविधान पीठ के समक्ष दौरान राम लला विराजमान की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल के परासरन और वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन, निर्मोही अखाड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार जैन, एक हिन्दू संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और सुन्नी वक्फ बोर्ड और दूसरे मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन, मीनाक्षी अरोड़ा और अधिवक्ता जफरयाब जीलानी सहित अनेक वकीलों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं।

सुनवाई के दौरान इन विधिवेत्ताओं ने वेद पुराणों से लेकर प्राचीन ग्रंथों, बाबरनामा, जहांगीरनामा और कुछ विदेशी यात्रियों के यात्रा संस्मरणों के अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को विवादित स्थल पर खुदाई के दौरान मिले अवशेषों का हवाला दिया।

संविधान पीठ ने इस मामले में विस्तार से सुनवाई शुरू करने से पहले मध्यस्थता के जरिये इस विवाद का समाधान खोजने का प्रयास किया। न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी बनायी लेकिन वह विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने में विफल रही।

समिति ने 16 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट संविधान पीठ को सौंपी थी। सूत्रों ने बताया था कि समिति की रिपोर्ट इस मसले पर हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच में समाधान की तरह थी। 

Web Title: Ayodhya Verdict: Hearing in Supreme Court lasts 40 days, dispute over 134 years old

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