अयोध्या मामला: रामलला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'मध्यस्थता की प्रक्रिया में हम शामिल नहीं'

By भाषा | Updated: October 1, 2019 07:54 IST2019-10-01T07:54:46+5:302019-10-01T07:54:46+5:30

दरअसल, सुप्राीम कोर्ट ने 18 सितंबर को कहा था कि वह मामले की प्रतिदिन सुनवाई जारी रखेगा और इस बीच विभिन्न पक्ष विवाद के हल के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।

Ayodhya hearing Ram Janmabhoomi-Babri Masjid title suit Ramlalla counsel says no to mediation | अयोध्या मामला: रामलला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'मध्यस्थता की प्रक्रिया में हम शामिल नहीं'

मध्यस्थता की प्रक्रिया में हम शामिल नहीं होना चाहता 'रामलला विराजमान' पक्ष (फाइल फोटो

Highlightsरामलला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग नहीं लेने की बात कहीसुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की रोज सुनवाई कर रहा हैसुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है वह 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करना चाहता है

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में ‘राम लला विराजमान’ के वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मुद्दे का सौहार्द्रपूर्ण हल करने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग नहीं लेना चाहते हैं। ‘राम लला विराजमान’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने मध्यस्थता पर मीडिया में आई कुछ खबरों का जिक्र किया और कहा कि वह इसमें आगे भाग लेना नहीं चाहते हैं और पीठ से एक न्यायिक फैसला चाहेंगे। 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक शुरूआती मध्यस्थता प्रक्रिया नाकाम हो जाने के बाद दशकों पुराने इस संवेदनशील मामले की छह अगस्त से प्रतिदिन कार्यवाही शुरू करने के बाद सोमवार को 34वें दिन भी सुनवाई की।

हालांकि, सुप्राीम कोर्ट ने 18 सितंबर को कहा था कि वह मामले की प्रतिदिन सुनवाई जारी रखेगा और इस बीच विभिन्न पक्ष विवाद के हल के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। पीठ ने कहा था कि उसे तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का नेतृत्व कर रहे शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला का एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षकारों ने उनसे मध्यस्थता प्रक्रिया बहाल करने का अनुरोध किया है। 

न्यायालय ने कहा था कि पक्षकार ऐसा करते हैं और मध्यस्थता समिति के समक्ष प्रक्रिया गोपनीय बनी रह सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि मामले में सुनवाई आखिरी चरण में है और वह 18 अक्टूबर तक कार्यवाही पूरा करना चाहता है। 

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरा करने के अपने संकल्प को भी दोहराया। न्यायालय ने यह भी कहा, 'यदि जरूरत पड़ी तो हम शनिवार को भी बैठेंगे।' 

सुप्रीम कोर्ट प्रतिदिन शाम चार बजे के बजाय शाम पांच बजे तक अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहा है। पीठ ने निर्मोही अखाड़ा के वकील से कहा, 'हम आपकी ओर से दलील देने के लिए एक वकील को इजाजत देंगे...हमारे पास समय नहीं है। क्या आप नहीं चाहते कि हम आदेश जारी करें।' 

कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को शुक्रवार को दलीलें पेश करने को भी कहा। वह मुस्लिम पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने आध्यात्मिक गुरु एवं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जाने माने मध्यस्थ श्रीराम पंचू की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति की इस रिपोर्ट पर भी गौर किया था कि करीब चार महीने चली मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई अंतिम समाधान नहीं निकला।

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