टोक्यो पैरालंपिक : गोल्डन गर्ल अवनि लेखारा ने रचा इतिहास, 50 मी राइफल 3पी एसएच1 फाइनल में जीता कांस्य पदक
By दीप्ती कुमारी | Published: September 3, 2021 12:52 PM2021-09-03T12:52:58+5:302021-09-03T13:03:25+5:30
अवनि लेखारा ने एयर राइफल प्रतिस्पर्धा में कमाल कर दिया । उन्होंने 50 मीटर राइफल स्पर्धा में अपने नाम कांस्य पदक किया । इससे पहले उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था ।
टोक्यो : भारत की गोल्डन गर्ल अवनि लेखारा ने 2020 के पैरालंपिक में इतिहास रच दिया है । वह ऐसा पहली भारतीय महिला पैरालंपिक खिलाड़ी है , जिन्होंने एक ही पैरा खेलों में दो अलग-अलग पदक जीता हो । उन्होंने महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3पी एसएच1 फाइनल में कांस्य पदक जीता । लेखरा ने इससे पहले महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था ।
स्टैंडिंग पोजीशन में 15 शॉट्स के बाद अवनी ने कुल 149.5 अंक जुटाए, जिसने उसे चार्ट पर चौथा स्थान दिया । हालांकि प्रोन पोजीशन में अवनी ने 50.8, 50.3 और 48.4 की तीन सीरीज रिकॉर्ड कीं और कुल मिलाकर केवल 149.5 रही । स्कोर ने उसे समग्र स्टैंडिंग में 6 वें स्थान पर गिरा दिया । अवनि स्टैंडिंग पोजीशन में पहली दो सीरीज़ के बाद स्टैंडिंग में चौथे स्थान पर पहुंच गई । यूक्रेन की इरीना शचेतनिक के साथ तीसरे स्थान के लिए जूझ रही लेखरा ने 10.5 का स्कोर किया जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ने केवल 9.9 का स्कोर किया, जिसके बाद अवनि ने अपना दूसरा पदक सुनिश्चित कर लिया ।
जयपुर की 19 वर्षीय इस खिलाड़ी ने अब तक पैरा खेलों में शानदार प्रदर्शन किया है। अवनि का एक और इवेंट में प्रदर्शन अभी बाकी है । यह देखना होगा कि अवनि यहां क्या कमाल दिखाती है । अगर योजना के अनुसार चीजें होती हैं, तो अवनि एक ही पैरा-इवेंट में तीन पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन सकती हैं ।
इससे पहले के इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने के बाद अवनी ने कहा था कि वह अपनी कहानी के जरिए सभी को प्रेरित करना चाहती हैं । 2012 में एक दुर्घटना के दौरान उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बावजूद उन्होंने अपने निशानेबाज बनने के सपने को नहीं छोड़ा ।
अवनि ने कहा कि "मैं चाहती हूं कि लोग मुझे देखें और महसूस करें कि अगर अवनि ऐसा कर सकती है, तो हम क्यों नहीं । अगर मेरा पदक एक भी व्यक्ति को प्रेरित कर सकता है, तो यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात होगी ।किसी को भी अपनी विकलांगता का दुख नहीं होना चाहिए । बस वही करें जो आप करना चाहते हैं और ऐसा कोई नहीं है जो आपको बता सके कि आप कुछ नहीं कर सकते । बस आपको खुद पर भरोसा करना होगा । कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है इसलिए बस अपना 100 प्रतिशत दें और आप निश्चित रूप से वह हासिल करेंगे, जो आप चाहते हैं । जब जीवन आपको चोट पहुंचाए तो उससे अपने साहस से दोगुने जोर से चोट पहुंचाए । यह टोक्यो पैरालिंपिक सभी के लिए महत्वपूर्ण मोड़ होना चाहिए । हम सभी को एक साथ एक मजबूत टीम बनानी चाहिए ।"