लाइव न्यूज़ :

न्यायिक, अर्ध-न्यायिक शक्ति का प्रयोग करने वाले प्राधिकरण अपने निर्णय के कारण दर्ज कराएं : न्यायालय

By भाषा | Updated: September 23, 2021 22:41 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 23 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायिक या अर्ध-न्यायिक शक्ति का प्रयोग करने वाले प्रशासनिक प्राधिकरण को अपने फैसले के कारणों को दर्ज करना होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि कानून लिखित रूप में कारणों को दर्ज करने का दायित्व देता है, तो निस्संदेह इसका पालन किया जाना चाहिए और अगर इसका पालन नहीं किया गया तो यह क़ानून का उल्लंघन होगा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, “यहां तक कि अगर कारणों को दर्ज करने या कारणों के साथ आदेश का समर्थन करने का कोई दायित्व तय नहीं हो तो भी इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि हर फैसले के लिए कोई कारण होगा।”

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि जिन लोगों का इस विषय में अधिकार या रुचि हो सकती है, उन्हें पता होगा कि वे कौन से कारण थे, जिन्होंने प्रशासक को एक विशेष निर्णय लेने के लिए बाध्य किया।

पीठ ने कहा, “न्यायिक या अर्ध-न्यायिक शक्ति का प्रयोग करने वाले एक प्रशासनिक प्राधिकरण को अपने निर्णय के कारणों को दर्ज करना चाहिए।” पीठ ने कहा कि यह उस अपवाद के अधीन है जहां आवश्यकता स्पष्ट रूप से या आवश्यक निहितार्थ के चलते फैसले की वजह के उल्लेख से रोकती हो।

पीठ ने कहा कि प्रशासनिक कार्रवाई के मामले में भी कारण बताने का कर्तव्य उठेगा, जहां कानूनी अधिकार दांव पर हैं और प्रशासनिक कार्रवाई कानूनी अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

पीठ ने अपने 109 पृष्ठ के फैसले में कहा, “संघ और राज्यों की कार्यकारी शक्ति क्रमशः भारत के संविधान के अनुच्छेद 73 और 162 में प्रदान की गई है। निस्संदेह, भारत में, प्रत्येक राज्य की कार्रवाई निष्पक्ष होनी चाहिए, ऐसा नहीं करने पर, यह अनुच्छेद 14 के जनादेश का उल्लंघन होगा”।

शीर्ष अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर फैसला सुनाते हुए कहा कि एनएच-30 के पटना-बख्तियारपुर खंड के 194 किलोमीटर मील के पत्थर पर टोल प्लाजा के प्रस्तावित निर्माण को बिहार में अपने वर्तमान स्थान से किसी अन्य स्थान पर नए संरेखण में जो पुराने NH 30 से अलग है पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है।

पीठ के मुताबिक 194 किलोमीटर पर टोल प्लाजा का निर्माण अवैध या मनमाना नहीं था और कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा टोल प्लाजा को स्थानांतरित करने के निर्देश को बरकरार नहीं रखा जा सकता है और यह रद्द किए जाने योग्य है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटयशस्वी जायसवाल की अचानक बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में भर्ती; सीटी स्कैन और USG किया गया

कारोबारPetrol, Diesel Price Today: सुबह-सुबह जारी हो गए तेल के नए दाम, जल्दी से करें चेक

विश्वविदेशी धरती पर पीएम मोदी मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, यह अवार्ड पाने वाले बने विश्व के पहले नेता

स्वास्थ्यमधुमेह का महाप्रकोप रोकने की क्या तैयारी ?

विश्वसोशल मीडिया बैन कर देने भर से कैसे बचेगा बचपन ?

भारत अधिक खबरें

भारतYear Ender 2025: चक्रवात, भूकंप से लेकर भूस्खलन तक..., विश्व भर में आपदाओं ने इस साल मचाया कहर

भारतAadhaar card update: आधार कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड से खुद को रखना है सेफ, तो अभी करें ये काम

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

भारतछत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प: 34 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम साय

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी