नयी दिल्ली, 28 नवंबर महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने प्रशांत भूषण के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का मामला चलाने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया है।
भूषण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विशेष रूप से हेलीकाप्टर की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्विटर पर उनकी आलोचना की थी।
वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण ने बाद में इसके लिए अफसोस जताया था।
भूषण ने 21 अक्टूबर को कहा था कि मुख्य न्यायाधीश को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में जाने के लिए विशेष रूप से हेलीकाप्टर उपलब्ध कराया गया था जबकि न्यायालय में उनके समक्ष मध्य प्रदेश के दलबदलू विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधित एक महत्वपूर्ण मामला लंबित है।
भूषण ने कहा था कि मध्य प्रदेश सरकार का अस्तित्व इस मामले पर टिका हुआ है।
हालांकि चार नवंबर को भूषण ने अपने ट्वीट पर अफसोस जताया था और एक अन्य ट्वीट किया, “मध्य प्रदेश में दलबदलू कांग्रेस विधायकों की सीटों पर कल चुनाव हुए जिन्हें शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया था। उनके पुनः चुने जाने पर शिवराज सरकार का अस्तित्व निर्भर करेगा। मुख्य न्यायाधीश की अदालत में लंबित मामले पर आने वाले निर्णय का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पहले किये गए ट्वीट में गलती हुई जिसका मुझे अफसोस है।”
सुनील सिंह नामक अधिवक्ता भूषण पर आपराधिक अवमानना का मामला चलाना चाहते थे जिसके लिए उन्हें महान्यायवादी की सहमति की आवश्यकता थी।
वेणुगोपाल ने 21 अक्टूबर को भूषण द्वारा किये गए ट्वीट को अवांछित और अनुचित बताते हुए आपराधिक अवमानना का मामला चलाने के वास्ते सहमति देने से मना कर दिया।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।