नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए हैं। इससे पहले मंगलवार को दोपहर में एक अफसर और दो जवानों के शहीद होने की जानकारी सामने आई थी, लेकिन समाचार एजेंसी एएनआई से मिली जानकारी के मुताबिक, इस झड़प में 20 सैनिक शहीद हुए हैं। हालांकि, अब भारतीय सेना की तरफ से भी 20 जवानों के शहीद होने की पुष्टि हुई है।
समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से यह भी बताया है कि भारतीय पक्ष द्वारा सुने गए इंटरसेप्ट से पता चला है कि लद्दाख की गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीनी पक्ष की ओर से कम से कम 43 सैनिक जान गंवा चुके हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस बीच हिमाचल प्रदेश में चीनी सीमा के पास अलर्ट जारी कर दिया गया है।
लद्दाख में चीन के साथ झड़प पर आया विदेश मंत्रालय का बयान
मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है। उन्होंने कहा, '6 जून को सीनियरों कमांडरों की अच्छी बैठक हुई। इसके बाद ग्राउंड कमांडरों के बीच कई बैठकें हुई'। श्रीवास्तव ने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि सबकुछ अच्छे से होगा। चीनी पक्ष गलावन वैली में LAC का सम्मान करते हुए पीछे चला गया, लेकिन चीन के द्वारा स्थिति बदलने की एकतरफा कोशिश करने पर 15 जून को एक हिंसक झड़प हो गई। इसमें दोनों पक्षों के लोगों की मौत हुई है, इससे बचा जा सकता था। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि सीमा प्रबंधन को लेकर भारत का जिम्मेदार रवैया है। भारत सारे काम LAC में अपनी सीमा के अंदर ही करता है, चीन से भी ऐसी उम्मीद हम रखते हैं।'
भारत-चीन के सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प
बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले काफी वक्त से लद्दाख में जारी विवाद अब और भी गहरा गया है। सोमवार रात को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई है। शुरुआत में बताया गया कि इस झड़प में भारतीय सेना के अफसर और दो जवान शहीद हो गए हैं। ये घटना तब हुई जब सोमवार रात को गलवान घाटी के पास जब दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सबकुछ सामान्य होने की स्थिति आगे बढ़ रह थी।
मई से जारी है भारत-चीन सीमा पर तनाव
बीते कई दिनों से दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव है। इसकी शुरुआत 5 मई से हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून में ही चार बार बातचीत हो चुकी है। बातचीत में दोनों देशों की सेनाओं के बीच रजामंदी बनी थी कि बॉर्डर पर तनाव कम किया जाए या डी-एक्सकेलेशन किया जाए। डी-एक्सकेलेशन के तहत दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले इलाकों से पीछे हट रही थीं।