तीन राज्यों की चुनावी जीत ने कांग्रेस को अहंकारी बना दिया?

By विकास कुमार | Updated: December 15, 2018 15:17 IST2018-12-14T18:29:41+5:302018-12-15T15:17:57+5:30

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रेस वार्ता में मानने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का सम्मान इसलिए भी बच गया क्योंकि इस वक्त मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा नहीं रंजन गोगोई हैं। नहीं तो कांग्रेस के नेता अभी तक मैच फिक्सिंग के आरोप लगा चुके होते।

assembly elections Congress party denied verdict of Supreme court on rafale deal, shows arrogance of state election win | तीन राज्यों की चुनावी जीत ने कांग्रेस को अहंकारी बना दिया?

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों ने राज्य के नए सीएम के चयन का जिम्मा राहुल गांधी को सौंप दिया। (फाइल फोटो)

Highlightsशुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील से जुड़ी सभी याचिकाएँ खारिज कर दीं।मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ मुख्यमंत्री होंगे। राजस्थान में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री होंगे और सचिन पायलट उप-मुख्यमंत्री होंगे।

हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों में अब कांग्रेस के मुख्यमंत्री होंगे। भोपाल, रायपुर और जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पोस्टर लहरायेंगे।  'आम आदमी का हांथ कांग्रेस के साथ' इस नारे को लेकर कांग्रेस के नेता लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेशों के हर गांव में समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश करेंगे। अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को बीते दिनों का नेता बताकर उन्हें खारिज करने का भरसक प्रयास किया जायेगा। जैसा कि आज राफेल विमान पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रेस वार्ता में मानने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का सम्मान इसलिए भी बच गया क्योंकि इस वक्त मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा नहीं रंजन गोगोई हैं। नहीं तो कांग्रेस के नेता अभी तक मैच फिक्सिंग के आरोप लगा चुके होते। 

"चौकीदार चोर है" 

पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार के खिलाफ सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी ने हाल के दिनों में तथाकथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जीवंत अभियान छेड़ रखा था। हर दो दिन के बाद कांग्रेस का एक नेता प्रेस कांफ्रेंस कर के यह याद दिलाता था कि कैसे मोदी सरकार ने देश हित की बलि देते हुए इस सौदे में घपले-घोटाले किए हैं। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान को बोफोर्स स्कैम से भी बड़ा बनाने की कोशिश की। उन्होंने ट्विटर पर इस मुद्दे को बार-बार उठाया और नरेन्द्र मोदी को भ्रष्टाचारी बताया। 

अनिल अंबानी का नाम लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को अंबानी परिवार का मुख्य हितैषी बताने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने एक तरह से अभियान छेड़ रखा था। इसमें कोई शक नहीं है कि अपने अभियान में राहुल बहुत हद तक सफल भी हुए। क्योंकि उनके डील के पीछे पड़ने के कारण नेशनल मीडिया में इस बात पर कई दिनों तक बहस हुई। रक्षा मंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक सबको सामने आकर सफाई देना पड़ा। ऐसा नहीं है इस मुद्दे की चर्चा केवल मोदी सरकार के विरोधियों ने की। यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भी उन्हें इस मुद्दे पर घेरा। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और भाजपा के पूर्व नेता अरुण शौरी ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा था। 

बंद लिफाफे में केंद्र सरकार से जानकारियां लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर आज अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दिया है। अब भाजपा ने भी कांग्रेस पर जवाबी कारवाई का सीरीज लांच किया है। अमित शाह, अरुण जेटली और राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर राजनीति साधने के लिए राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। डील के ऊपर ऊंगली उठाना कोई गलत ट्रेंड नहीं है, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि कांग्रेस पार्टी ने इस डील के खिलाफ कभी ठोस सबूत और तर्कों का प्रस्तुतीकरण नहीं किया है। भ्रष्टाचार की रट लगाने से कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं हो जाता। अगर ऐसा होता तो अरविन्द केजरीवाल देश के 99.99 % नेता और कारोबारियों को कब का भ्रष्टाचारी सिद्ध कर चुके होते।

राफेल हुआ फुस्स 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सौदे में किसी को वित्तीय लाभ मिलने जैसी बात भी सामने नहीं आई। मुख्य याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मीडिया से कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑफ़सेट पार्टनर का निर्णय फ्रांसीसी एविएशन कंपनी दसो ने किया है और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।" भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से उनके आरोपों का श्रोत पुछा है। अब राहुल गांधी को भी ठोस सबूत सामने रखने होंगे नहीं तो ये बात साबित हो जाएगी कि उन्होंने यह मुद्दा राजनीतिक फायदे के लिए ही उठाया था।

जिस तरह से कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज किया है वो उनके तीन राज्यों में सत्ता प्राप्त करने के बाद उत्पन्न अहंकार का प्रदर्शन करता है। क्योंकि उन्हें जनता ने तीन राज्यों में मैंडेट दिया है इसलिए इनके आरोप फर्जी नहीं हो सकते, ऐसा कांग्रेस के नेताओं का चिंतन प्रतीत हो रहा है। तीन राज्यों में हार के बाद आज अमित शाह उस अंदाज में आक्रामक नहीं दिखे जिस अंदाज में वो अक्सर देखे जाते हैं। भारतीय राजनीति में सत्ता परिवर्तन के साथ ही अहंकार भी शिफ्ट हो जाता है, कल तक विपक्ष के नाते संघर्ष कर रही कांग्रेस पार्टी आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दिख रही है। लेकिन चुनाव अभी और भी हैं और फाइनल अभी बाकी है। इस बात का इल्म राहुल गांधी और कांग्रेस को जरुर होगा। 

English summary :
Congress party senior leader Anand Sharma has said today in media, he will not accept Supreme Court verdict on rafale deal. from last many days congress party have use this issue as a main political weapon against Narendra modi and Bjp, without any solid evidence. today congress leader remark on supreme court showing arrogance of congress after wining election in madhya pradesh, rajasthan and chhattisgarh.


Web Title: assembly elections Congress party denied verdict of Supreme court on rafale deal, shows arrogance of state election win

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