चुनाव रिजल्टः लोकसभा में 0 सीटें पाने वाली मायावती ने बदली "हाथ की रेखाएं", पर्दे के पीछे से बन सकती हैं किंग मेकर

By जनार्दन पाण्डेय | Updated: December 11, 2018 18:13 IST2018-12-11T18:13:56+5:302018-12-11T18:13:56+5:30

Assembly Election Result 2018: मध्य प्रदेश में मायावती की जरूरत फिर से कांग्रेस को पड़ सकती है। क्योंकि बहुमत ना मिलने की स्थिति में मायावती बेहद अहम भूमिका निभा सकती हैं।

Assembly Election Result 2018: Mayawati may play the roll off kingmaker in Madhya Pradesh | चुनाव रिजल्टः लोकसभा में 0 सीटें पाने वाली मायावती ने बदली "हाथ की रेखाएं", पर्दे के पीछे से बन सकती हैं किंग मेकर

फाइल फोटो

Highlightsमायावती ने पहला प्रभावी फैसला उत्तर प्रदेश में फूलपूर और गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव में लिया। उन्होंने 25 साल की दुश्मनी भूलकर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को समर्थन दे दिया।मायावती ने दूसरा प्रभावी फैसला कर्नाटक में उस वक्त किया था जब बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार बना ली थी और कांग्रेस उहापोह में उलझी हुई ‌थी कि क्या करें?

बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में तीन बार चुनाव जीतकर मायावती को तीन बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर दे चुकी है। मायावती के नेतृत्व यह पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर भी खुद को दर्ज करा चुकी है। लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यही पार्टी गर्त में चली गई। मायावती के नेतृत्व में ही इस पार्टी को 1 सीट नसीब ना हुई। पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी होने का तमगा भी छिन गया।

साल 2017, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव। नतीजे वाले दिन मायावती की पार्टी बीएसपी ना केवल तीसरे नंबर पर खिसक गई, बल्कि 19 सीटों सिमट गई। तब कहा गया कि बीएसपी ने अपना आधार खो दिया है। अब जनता ने जातिगत राजनीति को नकार दिया है।

25 साल की दुश्मनी भुलाकर की सपा से गंठजोड़

इसके बाद से मायावती पर्दे के पीछे चली गईं। इसके मायावती ने पहला प्रभावी फैसला उत्तर प्रदेश में फूलपूर और गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव में लिया। उन्होंने 25 साल की दुश्मनी भूलकर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को समर्थन दे दिया।

उन्होंने यह भी नही जाहिर होने दिया कि वह कमजोर पड़ रही हैं। बल्कि उन्होंने अखिलेश यादव को इस आधार पर साथ दिया कि यूपी में आगामी लोकसभा चुनाव के वक्त सीटों का बंटवारा बेहद सम्माजनक होगा। इसका साफ संदेश यह जाता है‌ कि वे अगामी लोकसभा चुनाव में सपा के सहयोग से कई सीटों पर बीजेपी को कड़ी टक्कर देंगी। इस बात कई सभाओं में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी मान चुके हैं।

1 फोन से बनवाई थी कर्नाटक की सरकार

मायावती ने दूसरा प्रभावी फैसला कर्नाटक में उस वक्त किया था जब बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार बना ली थी और कांग्रेस उहापोह में उलझी हुई ‌थी कि क्या करें? उस वक्त मायावती ने सोनिया गांधी को फोन किया था और जनता दल यूनाइटेड और बीएसपी के गठबंधन के लिए समर्थन मांगा। कर्नाटक में बस एक सीट जीतने के बाद भी मायावती अपने विधायक को मंत्री पद दिलाने में सफल रही थीं। हालांकि बाद में मंत्री ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

मध्य प्रदेश चुनाव 2018 में बन सकती हैं किंग मेकर

मायावती ने पांच राज्यों के चुनाव में भी पर्दे के पीछे से शातिर राजनीति की। उन्होंने चुनाव पूर्व तीनों राज्यों में गठबंधन के बजाए अकेले चुनाव लड़ा। वह पहले कांग्रेस के साथ सम्मानजनक सीटों की मांग करती रहीं।

लेकिन बाद में उन्होंने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ गठबंधन किया। इसे ठीक उसी प्रकार देखा जा रहा था जैसे कर्नाटक में स्थिति बनी। लेकिन वहां कांग्रेस की जीत के बाद इसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई।

लेकिन मध्य प्रदेश में मायावती की जरूरत फिर से कांग्रेस को पड़ सकती है। क्योंकि बहुमत ना मिलने की स्थिति में मायावती बेहद अहम भूमिका निभा सकती हैं। बहुजन समाज पार्टी एमपी की 3 सीटों पर आगे है। इसी तरह राजस्‍थान में भी बीजेपी छह सीटों पर आगे है। छत्तीसगढ़ में भी बीएसपी गठबंधन 3 सीटों पर आगे है।

Web Title: Assembly Election Result 2018: Mayawati may play the roll off kingmaker in Madhya Pradesh

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