नई एनआरसी की सुगबुगाहट से उठा सवालः ...और कितनी बार साबित करनी पड़ेगी नागरिकता?
By आदित्य द्विवेदी | Updated: November 29, 2019 10:02 IST2019-11-29T09:40:10+5:302019-11-29T10:02:45+5:30
31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची जारी होने के बाद सत्ताधारी बीजेपी सवाल खड़े कर रही है। इसमें बड़ी संख्या में हिंदू बाहर कर दिए गए हैं। इसलिए नई एनआरसी की सुगबुगाहट का दौर जारी है....

नई एनआरसी की सुगबुगाहट से उठा सवालः ...और कितनी बार साबित करनी पड़ेगी नागरिकता?
असम में 4 साल की जद्दोजहद के बाद 31 अगस्त को एनआरसी की आखिरी सूची जारी कर दी गई। लाखों परिवारों ने अपना नाम शामिल होने के बाद राहत की सांस ली। लेकिन एकबार फिर ये परिवार डर के साए में जी रहे हैं क्योंकि राज्य में नई एनआरसी की सुगबुगाहट है। दरअसल, सत्ताधारी बीजेपी इस लिस्ट पर सवाल खड़े कर रही है। एनआरसी की इस लिस्ट से बड़ी संख्या में हिंदू बाहर कर दिए गए हैं। पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने कहा कि वो ताजा एनआरसी पर विचार कर रही है।
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कई स्थानीय लोगों से बातचीत के बाद उनकी राय प्रकाशित की है। अचलपारा के मोनिरुल इस्लाम के मुताबिक, 'हमारे जैसे लोगों ने एनआरसी के प्रॉसेस में अपना सबकुछ लगा दिया। इस लगातार शोषण से अच्छा है कि हमें एकबार में ही मार दिया जाए।'
पेशे से शिक्षक समसुल हक का कहना है कि अगर एनआरसी दोबारा होती है तो लोगों को दिल के दौड़े पड़ जाएंगे। वित्तीय बोझ के साथ-साथ लोगों के स्वाभिमान को चोट पहुंचती है। हम असली भारतीय हैं। इसके बावजूद हमसे बार-बार अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कहा जाता है।
अमृत लाल दास के मुताबिक अगर पुराने दस्तावेज से उन्हीं अधिकारियों के द्वारा ही नई एनआरसी बनती है तो ये जनता के करीब 1600 करोड़ रुपये की बर्बादी होगी। सुनवाई के दौरान कई लोगों ने अपने गहने बेंच दिए, काम से छुट्टियां लेनी पड़ी। दास का कहना है कि जिन खामियों की वजह से असली नागरिकों का नाम बाहर हुआ है उसे संबोधित करना चाहिए।
हिंदू बंगालियों की संख्या सार्वजनिक करेगी असम सरकार
विभिन्न वर्गों की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि 31 अगस्त को प्रकाशित अंतिम एनआरसी में बड़ी संख्या में हिंदुओं को बाहर कर दिया गया है और इसमें 19 लाख से अधिक आवेदनकर्ता छोड़ दिये गए हैं। असम भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमंत बिस्व सरमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) सूची से बाहर हुए हिंदू बंगालियों का जिलेवार आंकड़ा वर्तमान विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय किया है।
उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली अद्यतन प्रक्रिया का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करना था जिसमें अधिकतर बांग्लादेश से हैं। यह प्रक्रिया असम में संचालित की गई जहां पड़ोसी देश से 20वीं सदी के शुरूआत से ही लोगों का प्रवेश हो रहा है।
19 लाख लोग नहीं बना पाए थे जगह
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट 31 अगस्त को जारी की गई थी। इस लिस्ट में 19 लाख लोग अपनी जगह नहीं बना पाए। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक एनआरसी की अंतिम सूची जारी करने की अंतिम समय सीमा तय की थी। एनआरसी लिस्ट को बनाने की प्रक्रिया 4 साल पहले शुरू हुई थी और सरकार ने तय समय के भीतर यह सूची जारी कर दी।
एनआरसी लिस्ट से जुड़ी कुछ बड़ी बातेंः-
- असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए आवेदन पत्र मई 2015 से 31 अगस्त 2015 तक मांगे गए थे। कुल 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन किए। संलग्न दस्तावेजों के आधार पर स्क्रूटनी शुरू हुई।
- एनआरसी अपडेट एक बड़ा का काम था जिसमें राज्य सरकार के करीब 52 हजार कर्मचारी लंबे समय तक जुटे रहे।
- एनआरसी की आखिरी सूची में कुल 3,11,21,004 लोग शामिल किए गए हैं। जबकि 19,06,657 लोग एनआरसी से बाहर कर दिए गए हैं। बाहर किए गए लोगों में वो भी शामिल हैं जिन्होंने क्लेम नहीं किया था।
- जो भी व्यक्ति लिस्ट से संतुष्ट नहीं है वो अपनी अपील फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के समक्ष रख सकते हैं।