असम-अरुणाचल ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सीमा विवाद हल करने के समझौते पर किया हस्ताक्षर

By भाषा | Published: April 20, 2023 08:23 PM2023-04-20T20:23:35+5:302023-04-20T20:30:14+5:30

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू ने सीमा विवाद सुलझाने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

Assam-Arunachal sign agreement to resolve border dispute in presence of Home Minister Amit Shah | असम-अरुणाचल ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सीमा विवाद हल करने के समझौते पर किया हस्ताक्षर

फाइल फोटो

Highlightsअसम -अरुणाचल के दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दिल्ली में हुआ समझौता गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हिमंत बिस्वा सरमा और पेमा खांडू ने समझौता पर किया दस्तखतदोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने राज्य के विकास और शांति के लिए समझौते को ऐतिहासिक बताया

दिल्ली: असम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा होती है, जिसमें बीते कई दशकों से विवाद चल रहा है।

इस समस्या के हल के लिए सीएम सरमा और खांडू के बीच पिछले साल 15 जुलाई को नमसाई घोषणा पर हस्ताक्षर किया था। जिसके तहत दोनों राज्य सीमा विवाद को हल करने के लिए आपसी चर्चा करने और विवाद का जल्द ही समाधान खोजने के लिए संकल्प लिया था। मामले में गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि दोनों राज्यों के प्रमुखों ने राज्य सीमा से लगे 123 गांवों के विवाद को सुलझाने का फैसला किया है।

इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के प्रमुखों की तारीफ करते हुए सीमा समझौते को एक "ऐतिहासिक" घटना करार दिया और कहा कि इसने दोनों राज्यों के बीच चल रहे दशकों पुराना विवाद समाप्त हो जाएगा।

वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने समझौते पर दस्तखत करने के बाद कहा कि यह समझौता न केवल असम-अरुणाचल प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बेहद ही गर्व करने वाला है। असम के सीएम सरमा के इस कथन पर सहमति जताते हुए पेमा खांडू ने भी समझौते को "ऐतिहासिक" बताया।

दोनों क्षेत्रों के बीच विवादित क्षेत्रों को सुलझाने के लिए पिछले साल क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया था, जिसमें चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए दोनों ओर की सरकार के मंत्रियों, स्थानीय विधायकों और दोनों पक्षों के अधिकारियों को शामिल किया गया था।

साल 1972 में केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर मान्यता प्राप्त करने वाले अरुणाचल प्रदेश का कहना है कि उसके मैदानी इलाकों में कई जंगली इलाकों, जिसमें पारंपरिक रूप से पहाड़ी आदिवासी समुदायों का ठिकाना हुआ करता था, एकतरफा फैसले के तहत असम को स्थानांतरित कर दिए गए थे।

साल 1987 में जब अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिला तो उसके बाद इस विवाद को सुलझाने के लिए एक त्रिपक्षीय समिति नियुक्त की गई, जिसने सिफारिश की थी कि कुछ क्षेत्रों को असम से वापस अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित किया जाए। लेकिन तत्कालीन समिति के फैसले का विरोध करते हुए असम ने ऐसे किसी भूमि स्थानांतरण के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया और उसके बाद यह मामला लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में अटका रहा।

Web Title: Assam-Arunachal sign agreement to resolve border dispute in presence of Home Minister Amit Shah

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