असम: सीजेआई को पत्र लिखकर चुनाव जीतने के बाद पार्टी बदलने वाले जनप्रतिनिधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 22, 2021 17:00 IST2021-09-22T17:00:07+5:302021-09-22T17:00:07+5:30
असम के एक कार्यकर्ता सत्यरंजन बोरा ने सीजेआई एनवी रमना को चुनाव जीतने वाले जनप्रतिनिधियों पर किसी और पार्टी में शामिल होने पर चार साल का प्रतिबंध लगाने और इसका उल्लंघन करने वालों पर किसी भी तरह का चुनाव लड़ने पर 10 साल का प्रतिबंध लगाने का सुझाव भी दिया.

सुप्रीम कोर्ट.
गुवाहाटी: असम के एक कार्यकर्ता ने देश के चीफ जस्टिस (सीजेआई) एनवी रमना को पत्र लिखकर पूछा है कि वोट देने वाले लोगों को धोखा देने के लिए विधायकों और सांसदों पर भारतीय दंड संहित (आईपीसी) की धारा 420 के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं किया जा सकता है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 21 सितंबर को कुटुंब सुरक्षा मिशन के सत्यरंजन बोरा ने अपने पत्र में लिखा था कि चुने हुए जनप्रतिनिधि जिन पार्टी से जीतते हैं, उसे छोड़कर दूसरी पार्टी में जाकर क्षेत्र के वोटरों के साथ धोखाधड़ी करते हैं.
बोरा ने लिखा है कि स्थानीय से लेकर लोकसभा और राज्यसभा चुनावों तक में आजकल जीतने के बाद नेताओं के लिए अपनी पार्टी बदलना बहुत सामान्य हो गया है.
उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति को धोखा देने या गुमराह करने के लिए धारा 420 के तहत दंडित किया जा सकता है तो हम एक व्यक्ति को नहीं बल्कि इस देश के लोगों को धोखा देने वाले इन धोखेबाजों के लिए एक खुला मंच क्यों दें?
बोरा ने सीजेआई से अनुरोध किया कि वह चुने गए जनप्रतिनिधियों पर कुछ प्रतिबंध लगाएं. उन्होंने चुनाव जीतने वाले जनप्रतिनिधियों पर किसी और पार्टी में शामिल होने पर चार साल का प्रतिबंध लगाने और इसका उल्लंघन करने वालों पर किसी भी तरह का चुनाव लड़ने पर 10 साल का प्रतिबंध लगाने का सुझाव भी दिया.
बोरा ने उम्मीद जताई कि देश के न्यायमूर्ति उन्हें संविधान के अनुच्छेद 51(ए) के तहत मिले कर्त्यव्य के तहत उनकी मांगों पर विचार करेंगे.
दरअसल, इस साल मई में विधानसभा चुनाव जीतने के ठीक बाद दो कांग्रेस विधायक रूपज्योति कुर्मी और सुशांत बोरगोहेन भाजपा में शामिल हो गए थे.
इसके साथ ही ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक फणीधर तालुकदार भी एक महीने के अंदर ही भाजपा में शामिल हो गए थे.