रॉयल्टी विवाद पर असगर वजाहत का विनोद कुमार शुक्ल को समर्थन, अपनी किताबों और राजकमल प्रकाशन को लेकर कही ये बात

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 13, 2022 03:36 PM2022-03-13T15:36:01+5:302022-03-13T15:41:24+5:30

विनोद कुमार शुक्ल के रॉयल्टी विवाद पर बहस जारी है। इस बीच असगर वजाहत राजकमल प्रकाशन से अपनी कुछ किताबों को मुक्त करने की इच्छा जताई है।

Asghar Wajahat's support to Vinod Kumar Shukla on royalty dispute controversy | रॉयल्टी विवाद पर असगर वजाहत का विनोद कुमार शुक्ल को समर्थन, अपनी किताबों और राजकमल प्रकाशन को लेकर कही ये बात

विनोद कुमार शुक्ल को रॉयल्टी विवाद पर समर्थन (फाइल फोटो)

Highlightsअसगर वजाहत ने राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित अपनी कुछ किताबों को मुक्त करने की इच्छा जताई है।विनोद कुमार शुक्ल को मिलने वाली रॉयल्टी पर विवाद के बीच असगर वजाहत ने जताया समर्थनशमशुल इस्लाम ने भी प्रकाशकों के साथ अपने खराब अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा किया है।

नई दिल्ली: रॉल्यटी को लेकर जारी विवाद के बीच हिंदी लेखक असगर वजाहत ने विनोद कुमार शुक्ल का समर्थन किया है। साथ ही कहा है कि वे भी चाहते हैं कि राजकमल प्रकाशन से उनकी किताबें मुक्त हो जाएं। इसके अलावा लेखक शमशुल इस्लाम ने भी पूरे मुद्दे के बीच अपना एक निजी अनुभव सोशल मीडिया पर साझा किया है।

असगर वजाहत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'मैं भी लंबे अरसे से सोच रहा हूं कि विधिवत तरीके से राजकमल प्रकाशन, दिल्ली को अपनी लगभग आठ  किताबों के भार से मुक्त कर देना चाहिए। जिन मित्रों ने राजकमल के लिए मेरी किताबों को संपादित किया है उन्हें छोड़ दिए जाना चाहिए।'

बता दें कि साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक विनोद कुमार शुक्ल ने हाल में अपनी किताबों पर मिलने वाली रॉयल्टी को लेकर हिंदी के दो बड़े प्रकाशन समूह- राजकमल प्रकाशन,  वाणी प्रकाशन पर बड़े आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाए थे कि उनके साथ लंबे समय से 'ठगी' हो रही है और रॉयल्टी को लेकर प्रकाशक पारदर्शी नहीं हैं।

साथ ही विनोद कुमार शुक्ल का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि वे अपनी किताबों को इन प्रकाशकों से मुक्त कराना चाहते हैं। विनोद कुमार शुक्ल ने बिना उनकी अनुमति के किताबों के संस्करण सहित ई-बुक छापने जैसे आरोप भी लगाए हैं। यह पूरा विवाद पिछले दिनों अभिनेता-लेखक मानव कौल के इंस्टाग्राम पर शेयर किए पोस्ट के बाद शुरू हुआ।

इस विवाद के बीच रविवार को शमशुल इस्लाम ने भी फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी और खुद के साथ भी ऐसी ही धोखाधड़ी होने की बात कही। उन्होंने लिखा, 'कवि और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल जी के साथ प्रकाशक की धोखाधड़ी की दास्तान सुनकर मेरे साथ जो कुछ बीता उसकी मनहूस यादें ताजा हो गईं। हिन्दी के प्रख्यात राष्ट्रीय-अंतर राष्ट्रीय सब से बड़े प्रकाशकों में से एक ने मेरी 5 किताबें 7 अलग-अलग फर्जी प्रकाशन संस्थानों के नाम से लगातार छापीं, दुगने दामों पर।  पकड़े जाने के बाद मैं ने उनके केई दोस्तों से जो विख्यात विचारक भी माने जाते हैं, संपर्क किया लेकिन उन्हों ने 'इस पचड़े' में दखल देने से मना कर दिया।' पूरी पोस्ट आप आगे पढ़ सकते हैं।

बता दें कि विनोद कुमार शुक्ल के दावों पर राजकमल और वाणी प्रकाशन ने भी कुछ दिन पहले जवाब दिया था। उन्होंने ऐसी किसी धोखाधड़ी के आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि वे विनोद कुमार शुक्ल की शिकायतों पर उनसे बात करेंगे। लेखक को बिना बताए किताब संस्करण छापने की बात पर भी दोनों प्रकाशकों ने कहा है कि कई बार किताब की मांग पूरी करने के लिए ऐसा जल्दी में करना पड़ता है पर इसकी सूचना लेखक को दी जाती है।

Web Title: Asghar Wajahat's support to Vinod Kumar Shukla on royalty dispute controversy

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