हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में 1950 के अनुसूचित जाति आदेश के हवाले से मुसलमान और ईसाइ दलितों को अनूसुचित जाति की श्रेणी से बाहर रखने की दलील पर कठोर प्रहार किया है।
एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने तेलंगान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पसंमादा मुसलमानों के मुद्दों पर चिंता व्यक्त किये जाने पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है और सवाल उठाया कि जब उन्हें पसमांदा की इतनी ही फिक्र थी, जो सुप्रीम कोर्ट में मुसलमानों और दलित ईसाई को अनुसूचित जाति में रखे जाने के लिए अपनी ओर से तर्क पेश करने चाहिए थे।
ओवासी ने ट्वीट में कहा, "1950 का अनुसूचित जाति आदेश मुसलमान और ईसाइ दलितों को एससी लिस्ट से बाहर रखता है। एक तरफ़ मोदी सरकार पसमांदा मुसलमानों से मोहब्बत के दावे करती है और दूसरी ओर उन्हें लिस्ट से महदूद रखती है। सरकार ने कोर्ट से कहा कि भारतीय मुसलमान/ईसाइ ‘विदेशी’ हैं। दिल की बात ज़ुबान पर आ ही गयी।"
इस मुद्दे को हक की लड़ाई बताते हुए असुद्दीन ओवैसी इसी ट्वीट से जुड़े अगले ट्वीट में कहते हैं, "यह आदेश न सिर्फ़ मुसलमान और ईसाई दलितों की बराबरी के हक़ का मसला है बल्कि दलितों के मज़हब की आज़ादी के हक़ के खिलाफ़ भी है।इस आदेश के ख़िलाफ़ मैंने संसद में कई बार आवाज़ उठाई है। सरकार चाहे कुछ भी कहे, हम भारतीय हैं और भारत में ही इंसाफ़ ले कर रहेंगे।"
मालूम हो कि असुद्दीन ओवैसी दलित आरक्षण में पसमांदा मुसलमानों को शामिल करने के अलावा भी अल्पख्यकों से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। बीते 19 अक्टूबर को भी एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने 15 अगस्त को गुजरात सरकार द्वारा चर्चित बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को सजा की मियाद पूरी होने से पहले रिहा किये जाने पर पीएम मोदी द्वारा गुजरात के डिफेंस एक्सपो में दिए 'सरकार द्वारा चीता छोड़ने' बात पर तंज कसते हुए ट्वीट किया था।
पीएम मोदी ने गुजरात में डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा था कि देश पहले कबूतर छोड़ा करता था। आज चीता छोड़ने का सामर्थ्य रखता है। पीएम मोदी के इस बयान पर ट्वीट करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा, ''और रेपिस्ट''।
इतना ही नहीं ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी को यह सलाह भी दी थी कि उन्हें गुजरात में बिलकिस बानो के घर जाकर मिलना चाहिए और भरोसा दिलाना चाहिए कि उनके गुनहगारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। बिलकिस गैंगरेप के दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियो की रिहाई के संबंध में याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार से कई तीखे सवाल पूछे थे और मामले की सुनवाई को 29 नवंबर तक के टाल दिया है।