लालू यादव के दिल्ली लौटते ही शुरू हुई तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की अटकलें, बिहार में बढ़ने लगी राजनीतिक सरगर्मी
By एस पी सिन्हा | Updated: February 12, 2023 15:20 IST2023-02-12T15:09:39+5:302023-02-12T15:20:46+5:30
बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगी है। ऐसी अटकलें तेज होने लगी हैं कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। फिलाहल लालू यादव दिल्ली में हैं और पटना आने की संभावना कम है।

तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की लग रही अटकलें (फाइल फोटो)
पटना: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के सिंगापुर से दिल्ली लौट आने के बाद बिहार की सियासत को लेकर कयास लगाये जाने लगे हैं। हालांकि लालू यादव के अभी बिहार आने की कोई संभावना नही है, बावजूद इसके राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने की संभावना जताई जाने लगी है।
बिहार में जदयू के अंदर उथल-पुथल चल रहा है। तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने में हो रही देरी पर लालू यादव कौन सी रणनीतिक चालें चलते हैं, इसका इंतजार सबसे अधिक राजद कार्यकर्ताओं को है। लालू यादव की वतन वापसी कई मायनों में खास है। उनकी गैरमौजूदगी में राजद और जदयू के रिश्तों में खटास देखने को मिली है।
चर्चा है कि लालू यादव के दिल्ली लौटने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फोन पर उनसे बात की है और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। लालू दिल्ली में अपनी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के साथ रहेंगे। वहीं से बिहार की सियासत पर नजर रखेंगे।
बता दें कि बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। कई आयोग आदि में पद रिक्त पड़े हैं। महागठबंधन के अंदर इन सब पर फैसला होना है। महागठबंधन के घटक दलों के संबंधों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति में लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी भूचाल आने वाला है और वह सिर्फ लालू यादव के पटना लौटने का इंतजार कर रहा है।
वहीं महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के रिश्ते भी ठीक नहीं हैं। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर राजद और कांग्रेस आमने-सामने है। यही वजह है कि खरमास के बाद होने वाले कैबिनेट विस्तार को अब तक अंतिम विस्तार नहीं दिया गया है। वहीं नीतीश कुमार घोषणा कर चुके हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेगा।
नीतीश यह कहकर राजद की उस बेचैनी को शांत करना चाहते थे कि आखिर तेजस्वी मुख्यमंत्री कब बनेंगे? लेकिन राजद की बेचैनी इससे शांत नहीं हुई है। गोपलागंज और कुढ़नी के उपचुनाव में महागठबंधन की हार से यह बढ़ ही गई है। राजद नेताओं को अब लगने लगा है कि नीतीश के पास वोट ट्रांसफर करने की हैसियत अब बची नहीं है। ऐसा मानने वालों को लगता है कि 2025 तक इंतजार के बजाय अगले लोकसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तेजस्वी काबिज हो जाएं।
शायद यही कारण है कि राजद के लोग इसके लिए बार-बार ’डील’ की याद भी दिला रहे हैं और दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा इसी तथाकथित ’डील’ को लेकर नीतीश से सवाल भी पूछ रहे हैं। इन सबके बीच लालू यादव फिलहाल दिल्ली से ही बिहार की राजनीति पर नजर रखेंगे और वहीं से सियासी चाल तैयार करेंगे।