PRC जिसपर अरुणाचल प्रदेश में मचा बवाल, जानें क्या है इससे जुड़ा पूरा मामला
By पल्लवी कुमारी | Published: February 25, 2019 12:07 PM2019-02-25T12:07:32+5:302019-02-25T12:07:32+5:30
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने स्थायी आवासीय प्रमाण पत्र (PRC) को लेकर भड़के हिंसा के मामले पर कहा कि भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने,'राज्य की जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा सरकार PRC का मुद्दा भविष्य में कभी नहीं उठाएगी।
अरुणाचल प्रदेश में छह समुदायों को स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र (PRC) दिए जाने की सिफारिश के विरोध में राज्य में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन में कथित रूप से पुलिस गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। राज्य में अभी भी हालात पर काबू नहीं पाया गया है। राज्य में सुरक्षा हाई अलर्ट पर है। राजधानी ईटानगर में उपमुख्यमंत्री चोवना मेन के घर को आग लगा दी गई और डिप्टी कमिश्नर का ऑफिस तोड़ दिया गया है।
इसी बीच अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने स्थायी आवासीय प्रमाण पत्र (PRC) को लेकर भड़के हिंसा के मामले पर कहा कि भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने,'राज्य की जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा सरकार PRC का मुद्दा भविष्य में कभी नहीं उठाएगी। ये मैसेजे बिल्कुल साफ है। मैं अरुणाचल प्रदेश के जनता को इस बात का विश्वास दिलाना चाहता हूं कि ऐसा कभी नहीं होगा।' तो आइए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है? स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र (PRC) क्या होता है और वो कौन से छह समुदाया हैं, जो इसके लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं?
क्या है स्थायी निवासी प्रमाण पत्र(PRC)
स्थायी निवास प्रमाण-पत्र एक कानूनी दस्तावेज है, जो भारत के उन नागरिकों को मिलता है, जो देश में रहने के लिए सरकार को कोई सबूत और प्रमाण-पत्र देते हैं। स्थायी निवास प्रमाण-पत्र की जरूरत सरकार के कई योजनाओं का लाभ लेने के लिए और ऑफिशियल कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
स्थायी निवासी प्रमाण पत्र की जरूरत शैक्षिक संगठनों में प्रवेश, विशिष्ट कोटा के तहत नौकरी में आरक्षण, राशन कार्ड के लिए आवेदन करना, विभिन्न योजनाओं के प्रावधानों का लाभ उठाना या राज्य सरकार की छात्रवृत्ति का दावा करने में भी आवश्यक होता है।
कौन हैं ये अरुणाचल प्रदेश के छह समुदाय?
अरुणाचल प्रदेश में छह समुदाय स्थायी निवासी प्रमाण पत्र को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन समुदाय के लोग नामसाई और चांगलांग जिलों में रहते हैं। इनमें से अधिकतर को पड़ोस के असम में अनुसूचित जनजाति माना जाता है। जिन समुदायों को पीआरसी देने पर विचार किया जा रहा है उनमें देओरिस, सोनोवाल कचारी, मोरंस, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं।
अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने क्या सुझाया
राज्य में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने नामसाई और चांगलांग जिलों में रहने वाले छह गैर-अरुणाचल प्रदेश अनुसूचित जनजाति (APST) समुदायों और विजयनगर में रहने वाले गोरखाओं को प्रमाण पत्र ( PRC) जारी करने पर विचार कर रही है। जिनमें देओरिस, सोनोवाल कचारी, मोरंस, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं। इनमें से अधिकांश समुदायों को पड़ोसी राज्य असम में अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है।
एक संयुक्त उच्च शक्ति समिति (JHPC) ने हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद, छह समुदायों को पीआरसी देने की सिफारिश की, जो अरुणाचल प्रदेश के मूल निवासी नहीं हैं, लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं।
इसलिए कर रहे हैं अरुणाचल प्रदेश के लोग विरोध
अरुणाचल प्रदेश के कई समुदायों के संगठन राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर आक्रोश है। स्थानीय लोगों को लगता है कि इनको स्थायी निवास प्रमाण-पत्र मिलने से उनके अधिकारों और हितों के साथ समझौता होगा।
नरेन्द्र मोदी सरकार की क्या भागीदारी?
शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों से अपील की कि वे संयम बरतें और शांति कायम रखें। राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से भी बात की। खांडू ने उन्हें राज्य के हालात की जानकारी दी।