Arun Jaitley Death: सिर्फ एक चुनाव जीते थे जेटली, चुनाव लड़वाने में थे BJP के सबसे माहिर खिलाड़ी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 24, 2019 15:17 IST2019-08-24T15:17:13+5:302019-08-24T15:17:13+5:30

अरुण जेटली ने अपने साक्षात्कारों में कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी चाहते थे कि वे 1977 का लोक सभा चुनाव लड़ें। जेटली उस वक्त चुनाव लड़ने की 25 साल की न्यूनतम आयु से एक साल कम थे।

Arun Jaitley Death won dusu president election lost lok sabha chunav 2014 against amrinder singh | Arun Jaitley Death: सिर्फ एक चुनाव जीते थे जेटली, चुनाव लड़वाने में थे BJP के सबसे माहिर खिलाड़ी

अरुण जेटली ने 1974 डीयू छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी (फोटो साभार-हिन्दुस्तान टाइम्स)

Highlightsलोकसभा चुनाव 2014 में उन्होंने पंजाब के अमृतसर से आम चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. 1990 के दशक में एनडीए का कुनबा बढ़ाने में जेटली का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। अस्वस्थ जेटली का कई सप्ताह से एम्स में इलाज चल रहा था। 

जेटली को सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद नौ अगस्त को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था।

करीब पांच दशकों तक राजनीतिक में सक्रिय रहे जेटली लोकसभा चुनाव कभी जीत नहीं पाए। अपनी राजनीतिक पारी में सिर्फ एक बार वह छात्र जीवन में ही चुनाव जीतने में सफल हो पाए थे।

जेटली ने अपने जीवन का एक मात्र चुनाव 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष का जीता है। 

लोकसभा चुनाव 2019 में जेटली स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय नहीं थे, लेकिन लोकसभा चुनाव 2014 में उन्होंने पंजाब के अमृतसर से आम चुनाव लड़ा।

इस चुनाव में उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 

हालांकि 30 सालों तक बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार रहे जेटली को कई राज्यों में कमल खिलाने का श्रेय जाता है। 

इसके अलावा 1990 के दशक में एनडीए का कुनबा बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

विभाजन के बाद लाहौर से भारत आए एक सफल वकील के बेटे जेटली ने कानून की पढ़ाई की थी। जब देश में आपातकाल लागू हुआ तब वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे।

विश्वविद्यालय परिसर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की सजा उन्हें 19 महीने जेल में रह कर काटनी पड़ी। 

आपातकाल हटने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की और 1980 में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा इंडियन एक्सप्रेस की इमारत को गिराने के फैसले को चुनौती दी। 

इस दौरान वह रामनाथ गोयनका, अरुण शौरी और फली नरीमन के संपर्क में आए। बोफोर्स मामले में विश्वनाथ प्रताप सिंह की नजर पड़ी जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद जेटली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया। वह इस पद पर काबिज होने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे।

जेटली हमेशा से जननेता की जगह रणनीतिकार के तौर पर उभरे। 1990 के दशक में बीजेपी में उनकी तुलना दिवंगत नेता प्रमोद महाजन से होने लगी थी। 

1999 के लोकसभा चुनाव के समय उन्हें बीजेपी का मुख्य प्रवक्ता बनाया गया। 2002 में पार्टी में उनकी जिम्मेदारी बढ़ाते हुए महासचिव नियुक्त किया। 

बिहार विधानसभा चुनाव 2005 के समय जब वह बिहार बीजेपी के प्रभारी थे तो उनके नेतृत्व में बीजेपी पहली बार जेडीयू के साथ सरकार बनाने में सफल रही और 15 सालों से चले आ रहे लालू यादव के शासन का अंत हुआ। 

साल 2006 में प्रमोद महाजन की हत्या के बाद जेटली बीजेपी के मुख्य संकटमोचक बनकर उभरे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2008 में दक्षिण में बीजेपी का कमल खिलाने का श्रेय भी जेटली को गया।

इसके बाद जब बीजेपी ने 2009 में वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया गया तो जेटली चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष भी बने। हालांकि उस चुनाव में बीजेपी की सीटें घट गई थीं।

लेकिन बीजेपी के करारी हार के बावजूद जेटली के कद में कोई कमी नहीं आई, उन्हें राज्यसभा में पार्टी का नेता बना दिया गया।

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