Arun Jaitley Death: जब अरुण जेटली को कांग्रेस लड़ाना चाहती थी चुनाव, जानें 47 साल पुरानी कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 24, 2019 02:12 PM2019-08-24T14:12:36+5:302019-08-24T14:34:14+5:30
अरुण जेटली ने 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी। उन्होंने RSS की छात्र ईकाई एबीवीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। अस्वस्थ जेटली का कई सप्ताह से एम्स में इलाज चल रहा था।
जेटली को सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद नौ अगस्त को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। President of the Students Union of Delhi University in 1974.
1970 में दशक में देश में कई छात्र नेता उभर रहे थे जिनमें बाद कुछ लोगों ने बड़े-बडे़ राज्यों की कमान संभाली। बिहार से लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद जैसे छात्र नेता वर्तमान राजनीति के मुख्य किरदार हैं। उन्हीं दिनों जेटली ने कानून की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली विश्विद्यालय में दाखिला लिया।
कारवां मैगजीन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत के दिनों में जेटली लेफ्ट क्लब का हिस्सा थे। 1970 के दशक में इंदिरा गांधी शासन से नाराज कई युवा और छात्र नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े। 1972 में DUSU के अध्यक्ष बने श्रीराम खन्ना ने जेटली को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के सुप्रीम कौंसलर के लिए नामांकित किया था।
1974 के छात्रसंघ चुनाव के समय तक जेटली डीयू में कद्दावर छात्र नेता बन चुके थे। जेटली किसी तरह भी छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव जीतना चाहते थे।
संडे गार्डियन अखबार के वरिष्ठ संपादक पंकज वोहरा, जो उस समय कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI के सदस्य थे, उन्होंने बताया कि कांग्रेस भी उन्हें अपनी तरफ खींचना चाहती थी। क्योंकि जेटली का किसी भी पार्टी से चुनाव जीतना तय था। कारवां में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उस वक्त के ABVP दिल्ली प्रमुख प्रभु चावला और एक अन्य नेता राजकुमार भाटिया को जेटली के टिकट के लिए संघ को तीन दिन मनाना पड़ा था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जून 1975 के दिन इमरजेंसी की घोषणा की। उस समय जेटली दिल्ली में कानूनी अधिकारों को हटाये जाने को लेकर विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में थे। विरोध करने वाले कई छात्र नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। जेटली को भी 19 महीने जेल में रहना पड़ा। जेटली को पहले अम्बाला जेल भेजा गया था फिर उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया।