अनुच्छेद 370 पर बंटे विशेषज्ञ, किसी ने कहा- ऐतिहासिक, कोई कहा- ‘राजनीतिक दुस्साहस’

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 5, 2019 07:08 PM2019-08-05T19:08:16+5:302019-08-05T19:08:16+5:30

कुछ विशेषज्ञों ने इसे ऐतिहासिक और लंबे समय से अपेक्षित कदम बताकर सराहना की है तो अन्य ने इसे ‘‘राजनीतिक दुस्साहस’’ कहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता और संवैधानिक कानून विशेषज्ञ राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह (फैसला)पूरी तरह कानूनी है। सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका को सफलता मिलने के कोई आसार नहीं हैं।’’

Article 370 specially divided, someone said - Historical, someone said - 'political misery' | अनुच्छेद 370 पर बंटे विशेषज्ञ, किसी ने कहा- ऐतिहासिक, कोई कहा- ‘राजनीतिक दुस्साहस’

पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार गांगुली ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किया जाना ‘‘असंवैधानिक’’ नहीं लगता है।

Highlightsयह लंबे समय से अपेक्षित ऐतिहासिक कदम है। इसे हटाया जाना चाहिए था और अब इसकी कोई जरूरत नहीं है।कश्मीर बाहरी लोगों के लिए भी खुला था, इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि अनुच्छेद 35 ए क्यों होना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के सरकार के फैसले पर विधि विशेषज्ञों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है।

कुछ विशेषज्ञों ने इसे ऐतिहासिक और लंबे समय से अपेक्षित कदम बताकर सराहना की है तो अन्य ने इसे ‘‘राजनीतिक दुस्साहस’’ कहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता और संवैधानिक कानून विशेषज्ञ राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह (फैसला)पूरी तरह कानूनी है। सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका को सफलता मिलने के कोई आसार नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह लंबे समय से अपेक्षित ऐतिहासिक कदम है। इसे हटाया जाना चाहिए था और अब इसकी कोई जरूरत नहीं है। यह स्वागतयोग्य कदम है। कश्मीर बाहरी लोगों के लिए भी खुला था, इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि अनुच्छेद 35 ए क्यों होना चाहिए।’’

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार गांगुली ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किया जाना ‘‘असंवैधानिक’’ नहीं लगता है। उन्होंने कहा, ‘‘अस्थायी प्रावधान 70 साल से ज्यादा समय तक चलता रहा, कितने लंबे समय तक इसे जारी रखा जाता? मैं नहीं कह सकता कि राजनीतिक रूप से यह सही कदम है या नहीं लेकिन लगता है कि यह असंवैधानिक नहीं है।’’

दूसरी तरफ, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा वकील अश्विनी कुमार ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर का दर्जा बदलने के केंद्र सरकार के फैसले से देश के लिए गंभीर राजनीतिक परिणाम होंगे।’’ पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी का मानना है कि (सरकार ने) कुछ भी क्रांतिकारी कदम नहीं उठाया गया है क्योंकि अब तक राज्य में लागू नहीं होने वाला कानून अब वहां पर लागू होगा।

पूर्व सॉलिसीटर जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, ‘‘यह बहुत जटिल कानूनी स्थिति है और मैंने इसका पूरा विश्लेषण नहीं किया है। ऐसा लगता है कि उसने (केंद्र) राष्ट्रपति के पुराने आदेश को बदला है।’’

Web Title: Article 370 specially divided, someone said - Historical, someone said - 'political misery'

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे