भारत और पाकिस्तान कश्मीर को लेकर शुरू करेंगे बातचीत, पाक विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का किया रुख
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: September 10, 2019 09:41 AM2019-09-10T09:41:13+5:302019-09-10T09:41:13+5:30
भारत विश्व के सभी देशों से दो टूक कह चुका है कि कश्मीर को लेकर किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है लेकिन पाकिस्तान लगातार दुनिया का ध्यान घाटी के हालात को लेकर खींचने के प्रयास में लगा है। जिनेवा में मंगलवार को भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर बातचीत शुरू हो सकती है।
कश्मीर को लेकर अड़ियल रुख को पाकिस्तान अपना कूटनीतिक पैतरा समझ विश्व बिरादरी से लगातार हस्तक्षेप की गुहार लगा रहा है। कश्मीर पर भारत से बातचीत होगी इसी उम्मीद के साथ उसके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने स्विटजरलैंड के जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) का रुख किया है।
मंगलवार (10 सितंबर) को परिषद के 42वें सत्र का आगाज होना है। मामले पर नजर रख रहे लोगों के मुताबिक, जिनेवा के समय के अनुसार दोपहर में कुरैशी परिषद के सामने कश्मीर पर अपनी बात रखेंगे। भारत ने पाकिस्तान का जवाब देने के लिए किसी मंत्री को वहां नहीं भेजा है। पाकिस्तान का जवाब देने के लिए वहां भारत का शिष्टमंडल होगा, जिसकी अगुवाई विदेश मंत्रालय के सचिव अजय बिसारिया कर रहे हैं। वह हाल में इस्लामाबाद में भारत के उच्चायुक्त रहे हैं।
अजय बिसारिया पाकिस्तान द्वारा परिषद सत्र में उठाए जाने वाले सवालों पर कुछ घंटे बाद जवाब देंगे। सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मामले को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के प्रयासों को भारत तवज्जों नहीं देना चाहता है इसलिए पाक विदेश मंत्री के जवाब में अपने शिष्टमंडल को वहां भेजा है।
स्विटजरलैंड जाने से पहले शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट किया कि कश्मीर में कथित अत्याचारों को लेकर पाकिस्तान जिनेवा में पक्का अपनी बात रखेगा। बता दें कि सोमवार (9 सितंबर) को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की उच्चायुक्त मिचेल बचले ने भारत से अपील की थी कि वह जम्मू-कश्मीर में लागू किए गए प्रतिबंधों में ढील दे ताकि बुनियादी जरूरतों के लिए वहां के लोगों की पहुंच बनी रहे। उन्होंने कहा था कि जो लोग वहां नजरबंद हैं वे भी सभी बुनियादी जरूरतों के हकदार हैं।
उन्होंने भारत और पाकिस्तान की सरकारों से मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया था और कहा था कि जो भी फैसले सरकार ले रही हैं उनका प्रभाव कश्मीरियों के भविष्य को तय करेगा इसलिए वहां की आवाम को फैसलों के बारे में समझाना महत्वपूर्ण है।