CAA: गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, SC जाने से पहले केरल सरकार को सूचित करना चाहिए था!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 16, 2020 12:41 PM2020-01-16T12:41:26+5:302020-01-16T12:45:39+5:30

संशोधित नागरिकता कानून को न्यायालय में चुनौती देने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली केरल सरकार पहली राज्य सरकार है।

Arif Mohammad Khan on Kerala govt challenging CAA in SC Says This is breach of protocol and breach of courtesy | CAA: गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, SC जाने से पहले केरल सरकार को सूचित करना चाहिए था!

CAA: गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, SC जाने से पहले केरल सरकार को सूचित करना चाहिए था!

Highlights केरल विधानसभा ने ही सबसे पहले इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था।शीर्ष अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली करीब पांच दर्जन याचिकाओं पर 18 दिसंबर, 2019 को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था। 

नागरिकता संशोधित कानून को सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार द्वारा चुनौती दिए जाने पर राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का उल्लंघन है। मैं इस पर गौर करुंगा कि क्या राज्य सरकार राज्यपाल की मंजूरी के बिना SC में जा सकती है। यदि ऐसा है, तो वे मुझे सूचित कर सकते थे।

इससे पहले केरल सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस याचिका में केरल सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि इस कानून को संविधान में प्रदत्त समता, स्वतंत्रता और पंथनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला करार दिया जाये। 


संशोधित नागरिकता कानून को न्यायालय में चुनौती देने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली केरल सरकार पहली राज्य सरकार है। केरल विधानसभा ने ही सबसे पहले इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था। शीर्ष अदालत में दायर अपने वाद में केरल सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि संशोधित नागरिकता कानून, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 14 (समता), अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने और उसका आचरण करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाये। शीर्ष अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली करीब पांच दर्जन याचिकाओं पर 18 दिसंबर, 2019 को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था। 

न्यायालय ने केन्द्र को इन याचिकाओं पर जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। संशोधित नागरिकता कानून 10 जनवरी को राजपत्र में अधिसूचित किये जाने के साथ ही देश में लागू हो गया है। इस कानून में 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदाय के सदस्यों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिये 22 जनवरी की तारीख निर्धारित की है। 

शीर्ष अदालत ने इस कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था और इसे जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया था। शीर्ष अदालत में नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वालों में कांग्रेस के जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, राजद नेता मनोज झा, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, गैर सरकारी संगठन ‘रिहाई मंच’ और ‘सिटीजंस अगेन्स्ट हेट’, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, आल असम स्टूडेन्ट्स यूनियन (आासू) , अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और कानून के कई छात्र शामिल हैं।

Web Title: Arif Mohammad Khan on Kerala govt challenging CAA in SC Says This is breach of protocol and breach of courtesy

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