मराठवाड़ा क्षेत्र के स्मारकों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने की विशेषज्ञों की अपील

By भाषा | Updated: August 11, 2021 17:38 IST2021-08-11T17:38:54+5:302021-08-11T17:38:54+5:30

Appeal of experts to focus on conservation of monuments of Marathwada region | मराठवाड़ा क्षेत्र के स्मारकों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने की विशेषज्ञों की अपील

मराठवाड़ा क्षेत्र के स्मारकों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने की विशेषज्ञों की अपील

औरंगाबाद, 11 अगस्त इतिहासकारों ने बुधवार को सरकारी एजेंसियों से महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित प्राचीन स्मारकों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया ताकि आने वाली पीढ़ियों को ये विरासत संरचनाएं देखने को मिल सकें।

इतिहासकारों ने यहां स्वामी रामानंद तीर्थ अनुसंधान संस्थान में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वे इस मांग का एक ज्ञापन संभागीय आयुक्त को देंगे।

मराठवाड़ा क्षेत्र में आठ जिले शामिल हैं- औरंगाबाद, परभणी, बीड, लातूर, हिंगोली, नांदेड़, जालना और उस्मानाबाद।

डॉ प्रभाकर देव ने कहा, ‘‘यदि हम मराठवाड़ा के प्राचीन इतिहास को सीखना चाहते हैं, तो सरकार को यहां के स्मारकों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए और उनका विस्तृत अध्ययन करना चाहिए। इन स्थानों की पहचान किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा संरक्षित स्मारकों के रूप में नहीं की गई है।’’

डा. दुलारी कुरैशी ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों की ओर से उदासीनता के कारण कई ऐतिहासिक कृतियों का नुकसान हो रहा है।

नांदेड़ के रहने वाले विशेषज्ञ सुरेश जोंधले ने दावा किया कि राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा नांदेड़ में स्मारकों पर तैनात कर्मचारियों को शायद ही कभी वहां देखा गया हो।

उन्होंने कहा, ‘‘मराठवाड़ा के विभिन्न गांवों में लोग प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिए पहल कर रहे हैं और अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं। सरकार को इन स्मारकों पर गौर करना चाहिए और पर्यटन की दृष्टि से ऐसे बिंदुओं को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।’’

मल्हारीकांत देशमुख ने कहा कि जिस तरह महाराष्ट्र में किलों के संरक्षण के लिए पर्याप्त धनराशि निर्धारित की गई है, उसी तरह मंदिरों और अन्य स्मारकों को भी इसके लिए पर्याप्त आवंटन मिलना चाहिए।

जिला कलेक्ट्रेट द्वारा परभणी में शुरू किए गए तीन महीने के लंबे सर्वेक्षण के बारे में बात करते हुए, लक्ष्मीकांत सोनवतकर ने कहा, ‘‘इससे पहले, केवल 13 गांव थे जिनमें स्मारक थे, जो इस साल की शुरुआत में किए गए सर्वेक्षण के बाद 41 हो गए।’’

बीड के सतीश सालुंके ने कहा, ‘‘हमारे पास योद्धा महिलाओं की मूर्तियों के साथ कंकलेश्वर का मंदिर है, जो दुर्लभ है। बीड के धारूर किले में जल प्रबंधन का अध्ययन करने लायक है। राशि आवंटित करते समय, सरकार को उस स्मारक के ऐतिहासिक मूल्य की जांच करनी चाहिए। स्थानीय इतिहास अकादमिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।

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Web Title: Appeal of experts to focus on conservation of monuments of Marathwada region

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